नई दिल्ली। राजस्थान के आराध्य लोक देवता एवं सामाजिक समानता के प्रतीक श्री बाबा रामदेव जी की पावन जयंती पर केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की ओर से प्रेदशवासियों को बहुत बहुत बधाई दी गई है। राठौड़ ने बधाई देते हुए कहा कि बाबा रामदेव जी की असीम कृपा आप सभी पर बनी रहे |
रामसा पीर के नाम से प्रसिद्ध
राजस्थान के लोक देवता रामदेव जो की रामसा पीर के नाम से भी प्रसिद्ध है, की जयंती भाद्रपद शुक्ल दशमी को मनाई जाती है। मान्यता है की इस दिन बाबा रामदेव ने जीवित समाधि ली थी। यह समाधी स्थल राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण तहसील के रामदेवरा में स्तिथ है।
राजस्थान के लोक देवता रामदेव जो की रामसा पीर के नाम से भी प्रसिद्ध है, की जयंती भाद्रपद शुक्ल दशमी को मनाई जाती है। मान्यता है की इस दिन बाबा रामदेव ने जीवित समाधि ली थी। यह समाधी स्थल राजस्थान के जैसलमेर जिले के पोकरण तहसील के रामदेवरा में स्तिथ है। लोककथाओं के अनुसार बाबा के पिता अजमाल और माता मीनल ने द्वारिका के मंदिर में प्रार्थना कर प्रभु से उन जैसी संतान प्राप्ति की कामना की थी। इसीलिए बाबा रामदेव को कृष्ण का अवतार माना जाता है।
बाबा रामदेव के जन्म की कथा
राजा अजमल जी द्वारकानाथ के परमभक्त होते हुए भी उनको दु:ख था कि इस तंवर कुल की रोशनी के लिये कोई पुत्र नहीं था। दूसरा दु:ख था कि उनके ही राजरू में पड़ने वाले पोकरण से 3 मील उत्तर दिशा में भैरव राक्षस ने परेशान कर रखा था । इस कारण राजा रानी हमेशा उदास ही रहते थे ।
बाबा रामदेव के रामासा पीर बनने की कहानी
बाबा रामदेव मुस्लिम भक्तों में रामासा पीर के नाम से प्रसिद्ध है। बाबा रामदेव के रामासा पीर बनने की कहानी भी बड़ी रोचक है। जब बाबा रामदेव के चमत्कारों के किस्से मक्का तक पहुंचे तो वहां से पांच पीर उनकी परीक्षा लेने राजस्थान आए। पीरों के पहुंचने पर बाबा रामदेव ने उनको खाना खिलाने के लिये आदर सत्कार से बैठाया। जैसे ही खाना डालने लगे तो एक पीर ने कहा कि वो अपना कटोरा मक्का में भूल आए हैं और उसके बिना हम भोजन नहीं कर सकते।
रामदेव बाबा ने कहा ठीक है आपको भोजन आपके कोटोरों में ही खिलाया जाएगा। ऐसा कहते ही बाबा ने वहां सभी के कटोरे प्रकट कर दिये। चमत्कार को देख कर सभी पीर उनके आगे नतमस्तक हो गए। पांच पीरों ने बाबा को पीर की उपाधि दी।