featured राजस्थान राज्य

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 49वें सेशन में राजस्थानी भाषा की बात,छलका राजस्थानी भाषा का दर्द

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 49वें सेशन में राजस्थानी भाषा की बात,छलका राजस्थानी भाषा का दर्द

जयपुर। राजधानी जयपुर में चल रहे जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 49वें सेशन में शुक्रवार को राजस्थानी भाषा की बात हुई। डिग्गी पैलेस के संवाद टेंट में राजस्थानी भाषा पर आयोजित विशेष सेशन में वक्ताओं ने राजस्थानी भाषा का दर्द बयां किया। साहित्य अकादमी के इस सेशन में राजस्थानी भाषा के जानकारों ने राजनीतिक इच्छाशक्ति को लेकर सवाल उठाए। इस खास सेशन में चंद्रप्रकाश देवल, राजूराम बिजारणियां, ऋतुप्रिया और मधु आचार्य शामिल हुए। मंच से युवाओं से आव्हान किया गया कि वे चाहे जितना पिज्जा खाएं, चाहे जितनी जिंस पहनें, लेकिन अपनी बातचीत में राजस्थानी भाषा को बनाए रखें। युवा राजस्थानी भाषा को बचाने के लिए आगे आएं।

साहित्य अकादमी अवार्ड विजेता लेखकों ने सवाल किया कि आखिर अब तक राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा क्यों नही मिला है ? इस पर मंथन करना चाहिए। सेशन में वैसे तो सभी वक्ताओं का अहम रोल रहा, लेकिन चन्द्रप्रकाश देवल ने श्रोताओं को अपनी बात से काफी सहमत किया। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा हमारी रग-रग में बसी है। फिर भी राजस्थानी को संवैधानिक दर्जा नही मिला है। एक समय था जब हिंदी को बचाने के लिए राजस्थानी को नजरअंदाज किया गया। लोगों को समझना होगा कि राजस्थानी को महत्व देने का मतलब हिंदी का विरोध करना नहीं है।

वहीं राजस्थानी भाषा का अपना एक हज़ार साल पुराना इतिहास है। राजस्थानी भाषा का दौर मुग़ल और ब्रिटिश हुकूमत में भी जिंदा रहा। लेकिन राजस्थानी भाषा का जुड़ाव नौकरी से नहीं है। ऐसे में पिछले 70 साल में इसे नुकसान होने लगा है। अब युवा भी धीरे-धीरे राजस्थानी से दूरी बना रहे हैं। यह एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में युवाओं अपील है कि वे अपनी बातचीत में राजस्थानी भाषा को बनाए रखें।

यहां देवल में नेताओं पर भी चुटकी भी लेते हुए कहा कि जब हर राज्य की अपनी भाषा तो राजस्थान की क्यों नहीं है ? बात अगर लिपि की है तो देश में संवैधानिक दर्जा प्राप्त 8 भाषाएं ऐसी हैं जो देवनागरी में लिखी जाती हैं। ऐसे में राजस्थानी भाषा को भी देवनागरी लिपि में मौका देने के क्या बुराई है। देवल बोले कि हमारे नेता घर-घर से वोट मांगने के लिए तो राजस्थानी भाषा बोलते हैं, लेकिन जीत जाने के बाद शपथ हिंदी में लेते हैं और राजस्थानी भाषा को भूल जाते हैं। सेशन में कहा गया कि सोशल मीडिया पर राजस्थानी भाषा को काफी महत्व मिल रहा है। राजस्थानी भाषा के चुटकुले, राजस्थानी भाषा के गीत और राजस्थान का कल्चर काफी पसंद किया जा रहा है। यहां के कलाकारों को ऑन लाइन लाखों लाइक्स मिल रहे हैं।

Related posts

रेवाड़ी गैंगरेप केस में एसआईटी की सफलता, मुख्य आरोपियों में से पंकज और मनीष गिरफ्तार

Rani Naqvi

सीएम योगी ने दिया आदेश, बाढ़ पीड़ित लोगों को 24 घण्टे के अन्दर पहुंचाई जाए राहत

mahesh yadav

जम्मू से अमृतसर की तरफ जा रही टूरिस्ट बस गुरदासपुर में धारीवाल के खुंडा बाईपास पर पलटी, 1 की मौत, 18 घायल 

Rani Naqvi