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जानिए: 8 साल में शादी 15 में गौना के बाद डॉक्टर बनी बालिका वधू का सफर

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जयपुर। जयपुर के पास छोटे से गांव करेरी की रहने वाली रूपा यादव एक ऐसी मिसाल बन कर सामने आई है। जिसके सामने हर एक मिसाल छोटी लगती है। रूपा की मिसाल ऐसी मिलास है जिसे हर कोई याद रखेगा। आठ साल की उम्र में रूपा की शादी और 15 साल की उम्र में गौना होने के बावजूद रूपा अब अपने सपने को पूरा करने जा रही है। रूपा अपने डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने जा रही है। इस वर्ष हुई नीट की परीक्षा में उनकी 2283वीं रैंक आई है। रूपा उन चंद खुशकिस्मत बालिका वधुओं में से एक है, जो बाल विवाह होने के बाद सुसराल में भी अपनी पढ़ाई जारी रख सकीं और इसमें उन्हें अपने पति और सुसराल वालों का पूरा सहयोग मिला। जिसकी वजह से रूपा एक मिसाल बन कर उभरी है।

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बता दें कि जयपुर जिले के चैमूं कस्बे के करेरी गांव में जन्मी रूपा की शादी उस उम्र में हो गई थी जब उसे शादी का मतलब तक भी नहीं पता था। रूपा को शादी के बंधन में आठ साल की उम्र में बांध दिया गया था। वे तब तीसरी कक्षा में पढ़ रही थी। जब रूपा दसवीं में पहुंची तो गौना कर दिया गया और किशोरावस्था में ही सुसराल आ गई। रूपा के पति शंकरलाल भी शादी के समय 12 साल के ही थे। रूपा का जब दसवीं का परिणाम आया तो वह सुसराल में थी। दसवीं की परीक्षा में रूपा ने 84 प्रतिशत अंक हासिल किए। इस पर आस-पास की महिलाओं ने ससुराल वालों से कहा कि छोरी पढ़ने वाली है इसे पढ़ाओ। पति शंकरलाल और जीजा बाबूलाल ने रूपा को पढ़ाने का फैसला किया और आगे की पढ़ाई के लिए एक निजी स्कूल में दाखिला दिला दिया।

वहीं इसी दौरान रूपा के चाचा भीमराम की इलाज के अभाव में मौत हो गई। चाच की मौत को बाद रूपा ने ठान लिया कि उसे डॉक्टर ही बनना है और रूपा ने इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर पढ़ाई पूरी की रूपा ने 12वीं की कक्षा में भी 84 प्रतिशत अंक हासिल किए। ससुराल वालों ने रूपा की मेहनत देखकर रूपा का दाखिल कोटा के एक कोचिंग संस्थान में करा दिया। पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए पति और जीजा दोनों ने खेती करने के साथ टेम्पो चलाया।

इतना ही नहीं रूपा ने कोटा में रहकर पढ़ाई की, लेकिन पहले साल सफलता नहीं मिली। अब आगे पढ़ने में फिर फीस की दिक्कत सामने आने लगी। कोचिंग संस्थान को पारिवारिक स्थिति बताई तो संस्थान ने 75 प्रतिशत फीस माफ कर दी। इस बार फिर से दिन-रात मेहनत की और इस वर्ष 603 अंक प्राप्त किए। नीट रैंक 2283 है।

ससुराल और पीहर में रूपा पहली ऐसी लड़की है जो इतना पढ़ी लिखी है। रूपा के पिता किसान है और मां एक निरक्षक है परिवार घर की खेती पर ही निर्भर रहता है क्योंकि घर का सारा खर्च खेती से ही उठाया जाता है। ससुराल में भी खेती के अलावा कोई और आमदनी का जरिया नहीं है। रूपा के ससुर भी किसान ही है और सास एक गृहिणी हैं। रूपा की ससुराल में 25 बीघा जमीन है। जिस पर ठीक से खेती नहीं हो पाती अब पति शंकरलाल ने भी बीए कर लिया है और खेती से ही जुड़े हुए हैं। कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने बताया कि हम रूपा और उसके परिवार के जज्बे को सलाम करते हैं। वो हम सबके लिए मिसाल है। उसे एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान चार साल तक संस्थान की ओर से मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी। जिसके बाद रूपा अपने सपने को सच कर डॉक्टर बन सकेगी।

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