नई दिल्ली। राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले ही राजस्थान का सियासी पारा गर्म होता दिख रही हैं और चुनावो से पहले ही आया राम और गया राम की राजनीति होनी शुरू हो गई और एक बार फिर प्रदेश के आदिवासी नेता और राष्ट्रीय पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष डॉ. किरोडी लाल मीणा ने एक बार फिर भाजपा का दामन थाम लिया और अपनी पार्टी :एनपीपी: का भाजपा में विलय करने की घोषणा की हैं। आपको बता दे कि डॉ. मीणा ने 2008 में भाजपा छोड़ दी थी और उसके बाद वो 2013 में नेशनल पीपुल्स पार्टी में शामिल हो गये थे। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य नेताओं की उपस्थिति में भाजपा मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में पांच बार विधायक रहे डॉ. मीणा और एनपीपी के दो अन्य विधायकों गोलमा देवी और गीता वर्मा भी भाजपा में शामिल हो गये. राजस्थान विधानसभा में नेशनल पीपुल्स पार्टी के चार विधायक है लेकिन चौथे विधायक नवीन पिलानिया भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं।
इस अवसर पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी ने कहा कि मीणा ने उनकी पार्टी एनपीपी के विधायकों के दो तिहाई बहुमत के साथ भाजपा में विलय के लिये एक पत्र दिया है। मीणा ने कहा, ‘आज बिना शर्त अपने पुराने घर वापस लौटने पर मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है. यह वैसे ही है, जैसे मेरा वनवास खत्म हो गया हो। मेरी पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की है. इसके बाद मैं भाजपा में शामिल हो गया था और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज मैं फिर से बिना किसी शर्त के भाजपा में शामिल हो गया हूं।
भाजपा में वापसी पर मुख्यमंत्री राजे ने मीणा का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी भावनात्मक बातों को इस प्रकार प्यार से प्रकट की है कि उनकी आंखों में आंसू आ गये. राजे ने कहा कि उनका मजबूत भाई वापस घर लौट आया है। भाजपा में शामिल हुये तीनों विधायकों ने पार्टी की सदस्य बनने के लिये पार्टी के नम्बर पर मिस कॉल किया। विधायक नवीन पिलानिया द्वारा खुद को इस राजनीतिक घटनाक्रम से दूर रखने के बारे में मीणा ने संवाददाताओं को बताया कि यह पिलानिया की निजी इच्छा है। मीणा के इस फैसलें से साफ संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी राजस्थान चुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार दिख रही हैं अब देखना यें होगा कि क्या बीजेपी एक बार फिर राजस्थान में अपना परचम लहरा पाएंगी यां बीजेपी को मुंह की खानी पड़ेगी।