मुंबई। रघुराम राजन मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लिए अपनी अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा करेंगे। यह शायद किसी केंद्रीय बैंक के गवर्नर के लिए स्वतंत्र रूप से मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करने का अंतिम मौका भी होगा। यह मौद्रिक नीति समीक्षा ऐसे समय में होने जा रही है, जब सरकार ने अगले पांच वर्षो के लिए मुद्रा स्फीति का लक्ष्य शुक्रवार को लगभग चार प्रतिशत निर्धारित किया। इस काम के लिए जल्द ही एक मौद्रिक नीति समिति (एमसीपी) गठित की जाएगी, जिसे नीतिगत दरें तय करने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि अक्टूबर में होने वाली अगली द्विमाही नीतिगत समीक्षा से पहले समिति को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। यह समिति मौद्रिक नीति की रूपरेखा तैयार करने का काम करेगी। मुद्रा स्फीति दर का लक्ष्य अधिसूचित होने के बाद वित्त मंत्रालय के एक बयान में कहा गया, “एमपीसी को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वह मुद्रास्फीति की दर निर्धारित लक्ष्य पर बनाए रखने के लिए आवश्यक बेंचमार्क दर (रेपो दर) तय करे।”
समिति के अध्यक्ष आरबीआई के गवर्नर होंगे। समिति में आरबीआई के दो और प्रतिनिधि होंगे। जबकि समिति के तीन अन्य सदस्यों का चयन सरकार एक समिति की सिफारिश के आधार पर करेगी। बयान में कहा गया है, “आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडए की उपधारा (1) के तहत केंद्र सरकार आरबीआई के परामर्श से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के संदर्भ में प्रत्येक पांच साल पर महंगाई का लक्ष्य निर्धारित करती है। यह लक्ष्य सरकारी गजट में अधिसूचित की जाती है।”
जून महीने में 5.77 प्रतिशत महंगाई दर (ग्रामीण इलाकों में 6.20 प्रतिशत), और इस नए घटनाक्रम के मद्देनजर ब्याज दर में कटौती की संभावना नहीं है। आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने कहा, “आर्थिक सुधार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जारी रहेगी। मौद्रिक नीति की रूपरेखा निवेश और वृद्धि दर के लिए उचित वातावरण मुहैया कराएगी। एमसीपी के सदस्यों के बारे में घोषणा शीघ्र की जाएगी।”
मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले राजन ने परंपरानुसार शुक्रवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की, लेकिन उन्होंने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “हमारे पास मंगलवार को एक नीति होगी। इसलिए, मुझे मंगलवार तक प्रतीक्षा करनी है। मंगलवार को मैं बात करूंगा।”
जनवरी, 2015 से भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 150 आधार अंकों की कटौती की है। इसमें अंतिम कटौती 25 आधार अंकों की इस साल पांच अप्रैल को की गई थी। जहां तक राजन का सवाल है तो जब से उन्होंने पद संभाला है, तब से नीतिगत दर में तीन बार वृद्धि की गई है और पांच बार कटौती की गई है।