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किसान आंदोलनः राहुल गांधी ने ट्वीट कर सरकार पर साधा निशाना, कह दी ये बड़ी बात

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए चार सदस्य कमेटी गठित की है। इसके साथ ही किसान आंदोलन को लेकर राजनीतिक गलियारों में सियासत तेज हो गई है। आए दिन राजनीतिक पार्टियों द्वारा एक-दूसरे पर निशाना साधती रहती हैं। इसी बीच भाजपा के नेता किसान आंदोलन को लेकर लगातार हमलावर हो रहे हैं। इसी दौरान बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि जो किसान धरने पर बैठे हैं। उन्हें कानून में समस्या ही नहीं पता है। समाचार एजेंसी के अनुसार हेमा मालिनी ने बयान दिया कि धरने पर बैठे किसानों को ये भी नहीं पता है कि उन्हें क्या चाहिए और कृषि कानूनों के साथ असली दिक्कत क्या है। इससे ये साफ होता है कि उन्हें किसी ने कहा और वो लोग धरने पर बैठ गए हैं। जिसके बाद अब राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार अन्नदाता की शहादत से नहीं लेकिन ट्रैक्टर रैली से शर्मिंदा हो रही।

किसानों ने किया टैक्ट्रर रैली का ऐलान-

बता दें कि पिछले 50 दिन से चल रहा किसान आंदोलन अभी तक जारी है। सरकार और किसानों के बीच तकरार चल रही है सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कानूनों पर रोक लगा दी है और एक कमेटी गठित की है। किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे वो घर नहीं जाएंगे। राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। बता दें कि इसके साथ ही किसानों ने 26 जनवरी को टैक्ट्रर रैली निकालने का ऐलान किया है। किसानों के इस ऐलान के बाद सरकार परेशानी में पड़ गई है। इसी बीच कांग्रेस भी लगातार सीधे प्रधानमंत्री को निशाने पर ले रही है। इसी हमले को आगे बढ़ते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि 60 से ज़्यादा अन्नदाता की शहादत से मोदी सरकार शर्मिंदा नहीं हुई लेकिन ट्रैक्टर रैली से इन्हें शर्मिंदगी हो रही है।

राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भी सवाल उठाए-

वहीं राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के किसान आंदोलन पर समिति बनाने के फैसले को लेकर भी सवाल उठाए थे। राहुल गांधी ने कहा था कि क्या कृषि क़ानूनों का समर्थन करने वालों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? उन्होंने ट्वीट किया कि क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा। जय जवान, जय किसान।

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