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राजस्थान चुनाव में चलेगा राहुल का मंदिर फॉर्मूला, इस मंदिर से होगी शुरूआत

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नई दिल्ली।  राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से कमर कस ली गई है और एक बार फिर राजस्थान चुनाव में राहुल गांधी मंदिर से सियासत को परचम लहराएंगे। आपको बता दें कि इसकी शुरूआत 15 जुलाई के आसपास को प्रदेश के किसी बड़े मंदिर से हो सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान मे विधानसभा चुनाव में मंदिर की सियासत देखने को मिल सकती है।

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सूत्रों के अनुसार प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राहुल गांधी के दर्शन के लिए 10 ऐसे महत्वपूर्ण मंदिरों की सूची भेजी है। कांग्रेस आलाकमान ने भेजी गई सूची के आधार पर राहुल गांधी के कार्यक्रम को अंतिम रूप देने में लगी है। जाहिर के 2014 के चुनाव के हाशिए पर आ गई कांग्रेस खुद पर लगी हिंदूविरोधी छाप को हटाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है।

मंदिर दर्शन का फॉर्मूला

बता दें कि साल के आखिर में होने वाले राजस्थान के विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे प्रदेश कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के दौरे को लेकर उत्साहित हैं। अनौपचारिक बातचीत में कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि पहले गुजरात और फिर कर्नाटक में मंदिर दर्शन का फॉर्मूला कामयाब रहा है। राजस्थान में भी पार्टी को इसका लाभ मिलेगा।

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आस्था का विषय है राजनीति का नहीं

प्रदेश कांग्रेस की मीडिया चेयरपसर्न अर्चना शर्मा का कहना है कि राहुल गांधी राजस्थान आएंगे, लेकिन कहां और किस धार्मिक स्थल पर जाएंगे यह अभी तय नहीं हो पाया है। राहुल केवल मंदिर ही नहीं बल्कि सभी धार्मिक स्थलों पर जाते हैं और यह आस्था का विषय है राजनीति का नहीं। प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी पिछले एक महीने से विधानसभा चुनाव की रणनीति के तहत राहुल की यात्रा खाका तैयार करने की कवायद मे जुटे हैं। जयपुर में पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की ओर से भेजी गई सूची के आधार पर दिल्ली में अशोक गहलोत इसे अंतिम रूप देने मे लगे है।

जाति पर भी नजर

बता दें कि राहुल गांधी की यात्रा के समय 10 मंदिरो को चुना गया है। उसका प्रभाव राजस्थान के 8 जिलों की करीब 50 विधानसभा सीटों पर हैं। एआइसीसी को भेजी गई मंदिरों की सूची में पीसीसी ने कैलादेवी मंदिर, तनोट माता मंदिर, करणी माता मंदिर, सालासर बालाजी, ब्रह्माजी मंदिर पुष्कर, गोविंद देवजी, सांवलिया सेठ, त्रिपुरा सुन्दरी को शामिल किया है।

इनमें से 5 मंदिर ऐसे हैं जो जाति विशेष की आस्था के मुख्य केंद्र है। जाहिर है कांग्रेस की मंदिर की इस सियासत में धर्म के साथ-साथ जाति विशेष को भी साधने की प्रयास है। कांग्रेस ने राहुल गांधी का कार्यक्रम इस तरह से बनाया है कि मंदिर यात्रा के बाद वो मंदिर पुजारी और समाज के लोगों से भी मुलाकात करेंगे।

सोमनाथ यात्रा पर विवाद

आपको याद दिला दें कि राहुल गांधी के सोमनाथ यात्रा के दौरान भी भारी विवाद हुआ था। कांग्रेस को सफाई देते हुए राहुल की जनेऊ वाली तस्वीर जारी करनी पड़ी थी और गुजरात चुनाव में राहुल के इस फॉर्मूले का पार्टी को फायदा मिला था। यही वजह है कि कांग्रेस ने राहुल के मंदिर दर्शन यात्रा को कर्नाटक में भी आजमाया, यह अलग बात है कि वहां पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के रुप में उभरकर नहीं आ सकी, लेकिन वहां सरकार जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन की बनी। सत्ता में वापसी मानकर कांग्रेस इस फॉर्मूले को ना सिर्फ राजस्थान बल्कि इसी साल होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और अगले साल होने वाले आम चुनाव तक जारी रखेगी।

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