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सीटों को लेकर सिद्धारमैया-परमेश्वर के टकराव को सुलझाने में जुटे राहुल, कर्नाटक में करेंगे तीन और दौरे

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बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के हिदुत्व कार्ड से घबराए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉक्टर जी परमेश्वर के बीच सीटों को लेकर टकराव व उनके बीच की दूरी कम करने के लिए उनको मनाने में जुटे हैं। फ़िलहाल राहुल कांग्रेस के दिल्ली स्थित वॉर रूम में दोनों नेताओं के बीच उम्मीदवारों को लेकर चल रही खींचतान को समाप्त कर लिस्ट को अंतिम रूप देने में लगे हैं ।

 

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File Photo

 

सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक विधानसभा चुनाव में सिद्धारमैया को फ्री हैंड छोड़ने वाले राहुल गांधी अपने ही बनाए नियम में घिर गए हैं। इसी वजह से कांग्रेस नेतृत्व ने अब तक कर्नाटक चुनाव के लिए नाम तय होने के बावजूद सूची जारी नहीं की। क्योंकि शीर्ष नेतृत्व को ये डर सता रहा है कि सूची जारी होने के बाद कहीं अंतर्कलह की स्थिति न पैदा हो जाए। यही वजह है कि शुक्रवार को कांग्रेस चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में सहमति न बन पाने के बाद इन दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सलाहकार की भूमिका में काम कर रहे संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने दोनों नेताओं को रात दस बजे राजस्थान हाउस बुलाकर उनको समझाने और सुलह कराने का प्रयास किया।

 

उल्लेखनीय है कि सिद्धारमैया और जी परमेश्वर के बीच करीब 50 सीटों पर टकराव की वजह से मतभेद की स्थिति पैदा हो गई है। दरअसल, सिद्धारमैया ने दो सीटों से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे अध्यक्ष राहुल गांधी ने हरी झंडी दे दी है। हालांकि परमेश्वर की ऐसी ही इच्छा को अभी तक अनुमति नहीं मिली है। कांग्रेस के करीबी सूत्रों के अनुसार सिद्धारमैया चामुंडेश्वरी के साथ-साथ बागलकोटे जिले की बडामी सीट से भी चुनाव लड़ेंगे।

 

फिलहाल, दोनों नेताओं के बीच सुलह-समझौतों के बीच राहुल गांधी ने दोनों नेताओं को और करीब लाने और इस आंतरिक कलह का भाजपा या जेडी एस को फायदा न होने की रणनीति पर काम करते हुए राज्य में कम से कम तीन और दौरे करने की योजना बनाई है। इस दौरान वह राज्य के उन इलाकों का दौरा करेंगे जहां-जहाँ वह अपनी जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान अब तक नहीं जा पाए थे। पार्टी के एक नेताओं ने टीम राहुल को सलाह और प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी सभी रैलियों और बैठकों को लेकर जनता में अब तक अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। ये सुनिश्चित होगा कि चुनाव की तारीख तक कार्यकर्ताओं का जोश बरकरार रहे।

 

दरअसल, जोश बरकरार रखने के पीछ की वजह यह मानी जा रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रैली और प्रचार अभियान शुरू करने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं-भाजपा कार्य़कर्ताओं को उस आक्रमकता से संभाल नहीं पाते व अपने पक्ष में माहौल नहीं बना पाते। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इससे पहले गुजरात विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। इसी वजह से राहुल ने दोनों नेताओं के बीच सुलह के साथ-साथ कार्यकर्ताओं में समन्वय स्थापित करने की भी योजना बनाई है।

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