नई दिल्ली। अपनी नई सियासी राह को तलाशने के लिए शरद यादव गुरूवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में साझी विरासत बचाओ के नाम पर एक सम्मेलन कर विपक्ष को एक जुट करने की कवायद में लगे हैं। शरद यादव के इस सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा गुलाम नवी आजाद के साथ कई बड़े विपक्षी नेता शामिल हुए हैं। इस सम्मेलन में 17 राजनीतिक पार्टियों के कई वरिष्ठों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है।
ऐसे में सियासी सत्ता के बदलते रूख को भांप कर अब शरद यादव नई राह को बनाने की कवायद कर रहे हैं। इसी कवायद में देश में एक दूसरे दल को खड़ा कर सरकार के अस्तित्व को चुनौती देने पूर्ण राजनीतिक के उदय की कोशिश में ये सम्मेलन बुलाया है। इस सम्मेलन का नाम साझा विरासत बचाओ दिया गया है। इसमें देश की 17 पार्टियों के नेता शामिल हो रहे हैं। इस सम्मेलन में राहुल गांधी , मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद सीपीएम से सीताराम येचुरी और एनसीपी से तारिक अनवर शामिल हो रहे हैं। ये सभी विपक्षी नेता देश में बदल रहे राजनीतिक समीकरण में कैसे अपने आपको खड़ा करें इस विषय पर अपने विचार साझा करने के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
इस सम्मेलन के लिए शरद यादव ने सारी ताकत झोंक दी है। देश में विपक्ष को एक झंड़े के तले लाने की कवायद कर से शरद यादव ने सभी विपक्षी पार्टियों के साथ डॉ बी.आर.अंबेडकर के परपोते प्रकाश अंबेडकर के साथ महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी को भी आमंत्रण भेजा है। बुधवार को प्रेस वार्ता में शरद यादव ने किसी के खिलाफ कोई टिप्पणी करने से अपना बचाव करते हुए साफ कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। देश में बिगड़ रहे साझी विरासत के माहौल को हम कैसे बचाने इस बारे में चर्चा करने के लिए ये सम्मेलन रखा गया है।
इस दौरान राहुल गांधी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरएसएस के साथ सरकार पर बड़ा हमला बोला, उन्होने कहा कि सरकार आरएसएस के मंसूबों के चलते संवैधानिक पदों पर आरएसएस के लोगों को बैठाती जा रही है। देश में किसान मर रहे हैं, लेकिन सरकार उद्योगपतियों को बढ़ावा देने में जुटी हुई है। सरकार की मेक इन इंडिया योजना फ्लाप साबित हुई है। आज जिस तिरंगे के सम्मान को लेकर आरएसएस हंगामा कर रही है। जब सत्ता मिली तब तिरंगे को सलाम किया। इसके पहले किसी और को सलाम करते थे। देश में सरकार एक अराजकता का माहौल व्याप्त होता जा रहा है। सरकार की योजनाएं फेल हो गई हैं। ये देश साझा विरासत को लेकर चला था। आज वह विरासत सरकार की कारगुजारी के चलते खत्म होने के कगार पर आ चुकी है।