नई दिल्ली। Rafale Deal पर बहुप्रतिक्षित भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट राज्यसभा में पेश हो गयी। यह रिपोर्ट सरकार और विपक्ष दोनों के लिए मिला जुला है। दोनों Rafale डील को लेकर एक दूसरे पर लगातार आरोप प्रत्यारोप कर रहे हैं। Rafale पर CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि NDA सरकार ने UPA से 2.86 फीसदी सस्ते में डील की है। रिपोर्ट में दावा कहा गया है कि मौजूदा डील में विमानों की डिलिवरी पुराने डील के मुकाबले एक महीने पहले होगी। साल 2007 में की गयी डील के अनुसार भारत की जरूरतों के मुताबिक तैयार विमान 72 महीने में भारत आते जबकि साल 2016 में जो डील की गयी उसके मुताबिक ये विमान 71 महीने में ही तैयार हो जायेंगे।
बता दें कि इस डील को लेकर सरकार की जो सबसे ज्यादा आलोचना की जा रही थी वह यह थी कि विमानों की संख्या 126 से घटकर 36 हो गयी। इस पर सरकार ने कहा था कि उसने भारतीय वायुसेना की ‘अविलंब’ जररूतों को ध्यान में रखते हुये ऐसा किया है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में 36 राफेल जेट्स खरीदने पर दिये गये जवाब में सरकार ने जरूरत का हवाला दिया था। CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि सौदे के इस पहलू को बदलने से डिलीवरी टाइम के संदर्भ में थोड़ा लाभ मिला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2007 में दसॉ द्वारा पेश किए गए शेड्यूलिंग के अनुसार पहले 18 उड़ने वाले विमानों को अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के 37 महीने से 50 महीने के बीच दिया जाना था और अगले 18 को, एचएएल में बनना था जो 49 से 72 महीने के भीतर मिलता।
वहीं नए सौदे में भारतीय निगोशिएशन टीम (INT) ने फ्रांसीसी पक्ष को बताया कि उसने IGA के हस्ताक्षर के बाद 24 महीनों में 18 राफेल विमानों के पहले बैच की डिलीवरी की उम्मीद की थी; और 36 महीनों में 18 विमानों का अगला बैच चाहिये था। कैग ने रिपोर्ट में कहा, ‘आखिरकार, फ्रांस की तरफ से डिलीवरी का शेड्यूल आईजीए के हस्ताक्षर के 36 से 53 महीने बाद 18 विमान था। और शेष 18 विमानों को आईजीए पर हस्ताक्षर करने के 67 महीने बाद देने की बात कही थी।