केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने नई दिल्ली में “जलवायु सुदृढ़ गांव एवं उनकी प्रतिकृति” विषय पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति की अंतर-सत्र बैठक को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि फसलों, बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन पर जलवायु परिवर्तन एवं विविधता के प्रभावों को अत्यंत कम करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा राष्ट्रीय जलवायु समुत्थान कृषि नवप्रवर्तन (एनआईसीआरए या निक्रा) नामक एक वृहत कार्यक्रम चलाया जा रहा है । इसका मुख्य उद्देश्य अनुकूलन एवं प्रशमन प्रक्रियाओं का विकास करना तथा कृषि में होने वाले नुकसान को कम कर भारतीय कृषि के उत्थान को बढ़ावा देना है।
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मंत्री ने कहा कि इस परियोजना के अवयव अनुसंधान प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन एवं क्षमता निर्माण हैं। प्रौद्योगिकी प्रदर्शन का लक्ष्य स्थान विशेष की प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है, ताकि किसानों के खेतों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम किया जा सके। हर जिले में एक प्रतिनिधि गांव को चुनकर जलवायु की दृष्टि से देश भर में फैले 151 अतिसंवेदनशील जिलों में यह कार्य किया जा रहा है। जलवायु की दृष्टि से प्रमुख संवेदनशीलताओं जैसे सूखा, बाढ़, चक्रवात, लू, शीत लहर, पाला एवं ओलावृष्टि से होने वाले नुकसान को कम किया जा रहा है।
सिंह ने बताया कि प्रदर्शित प्रौद्योगिकियों को चार मॉड्यूल जैसे प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, फसल उत्पादन एवं बागवानी, पशुधन व मत्स्य पालन और गांव में संस्थानों के निर्माण में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्रदर्शन के लिए प्रौद्योगिकियों की पहचान जलवायु संबंधी संवेदनशीलता, गांव में प्रमुख कृषि प्रणालियों और संसाधन उपलब्धता के आधार पर की गई है। इन प्रदर्शनों ने जलवायु परिवर्तनशीलता के प्रभाव को कम करने और सतत उत्पादन के लिए प्रेरित किया है जिससे उनका अभिग्रहण भी होने लगा है।