लखनऊ। सपा नेता आजम खान ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। आजम ने कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं है। प्रणब ने संघ की दावत कुबूल की थी और एक कार्यक्रम में उनके हेड क्वार्टर गए थे, यह (भारत रत्न) उसी का इनाम है। उधर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा- भारत रत्न जितने लोगों को दिया गया, उनमें से कितने दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों, गरीबों, सामान्य वर्ग और ब्राह्मणों को दिए गए? केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक नानाजी देशमुख और गायक भूपेन हजारिका को भारत रत्न देने का ऐलान किया था। नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलेगा। आजम खान ने कहा, “डॉ. मुखर्जी को जब भारत रत्न दिए जाने की सूचना मिली थी तो उन्होंने कहा था- मैं नहीं जानता कि क्या मैं इसके लायक हूं। शायद उन्हें भी समझ नहीं आया की भाजपा सरकार ने उन्हें भारत रत्न क्यों दिया।’ खान ने भाजपा के प. बंगाल में राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिशों के सवाल पर कहा, “भाजपा पैर जरूर पसारे, लेकिन ख्याल रखे कि नीचे तेजाब न हो।
बता दें कि ओवैसी ने कहा- अंबेडकर को भारत रत्न मजबूरी में दिया था। ठाणे में एक सभा में ओवैसी ने कहा, ‘‘बाबा साहब को भारत रत्न दिया गया, पर दिल से नहीं मजबूरी की हालत में दिया गया।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘कांग्रेस ने हमारी नस्लों को बर्बाद कर दिया। हम पर मुस्लिम राजनीति करने का इल्जाम लगाया जाता है पर जब राहुल गांधी कहते हैं कि कांग्रेस हिन्दुओं की पार्टी है तब कोई कुछ नहीं कहता। इससे पहले ओवैसी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न सम्मान दिए जाने पर सवाल उठाए थे। उन्होंने लाल कृष्ण अडवाणी को पद्म विभूषण दिए जाने का भी विरोध किया था।
वहीं प्रणब ने वित्त, रक्षा और विदेश जैसे तीनों अहम मंत्रालय संभाले प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के मिराती में हुआ था। 1969 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट दिया। इसके बाद 1982 में उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। 1984 में राजीव गांधी से मतभेदों के बाद उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का गठन किया। हालांकि, 1989 में यह पार्टी कांग्रेस में ही शामिल हो गई। इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में उन्हें 1991 में योजना आयोग का प्रमुख और 1995 में विदेश मंत्री का कार्यभार दिया गया।
साथ ही 2004 की यूपीए सरकार में प्रणब पहली बार लोकसभा चुनाव जीते। 2004 से 2006 तक उन्होंने रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। 2006-09 तक विदेश मंत्रालय और 2009-12 तक उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। 2012 में कांग्रेस ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया। राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने पीए संगमा को हराया। प्रणब 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे। राष्ट्रपति बनने से पहले करीब पांच दशक तक वह कांग्रेस में रहे। पिछले साल वह नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए। इस पर काफी विवाद हुआ था।