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आत्मनिर्भर भारत की योजना पर सवालिया निशान..

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राजेश विद्यार्थी की रिपोर्ट 

भारत खबर
जम्मू कश्मीर। जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राज्य के बीच हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप को बंद करने के आदेशों के खिलाफ विरोधी स्वर गुंजने लगे हैं। जम्मू कश्मीर में बेरोजगार इंजीनियरों को रोजगार दिलाने के लिए 2004 में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सेल्फ हेल्प ग्रुप की योजना चलाई। इसके तहत करीब बीस हजार इंजीनियरों को सरकारी विभागों में कांट्रेक्च्यूल बेस पर काम दिया जाता रहा। इंजीनियरों ने इस योजना के तहत सरकारी विभागों में काम लिया और स्थाई नौकरी की मांग भी नहीं की। सेल्फ हैल्प ग्रुप के जम्मू जिला के अध्यक्ष जयपाल सिंह के अनुसार उन्हें बीस फीसदी कमीशन पर काम दिया जाता रहा। पूर्व सरकार ने गाईडलाइन भी तैयार हुई कि किस तरह से सेल्फ हेल्प गु्रप को भुगतान किया जाएगा। योजना थी कि जो इंजीनियर जिस जिले का निवासी होगा। उसी जिले के इंजीनियर को काम दिया जाएगा। पिछले 14 सालों से चली आ रही इस योजना को रद् कर दिया गया है।

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इंजीनियर बेरोजगार हो गए। जयपाल ने कहा जिन लोगों का काम चल रहा है। वह भी असमंजस की स्थिति में आ गए हैं। जो इंजीनियर काम कर रहे हैं, उन्हें योजना के तहत लाभ देने और उसे सदृड करने की बजाए इस योजना को ही समाप्त कर दिया है। प्रधानमंत्री स्वरोजगार की दावा करते हैं। इंजीनियर इसी योजना के तहत स्वरोजगार के तहत काम करते रहे हैं। इस योजना को बहाल करके इंजीनियरों को काम करने की मंजूरी दी जाए। मुर्मू ने किया था फैसला आत्मनिर्भर भारत की योजना पर सवालिया निशान बीस हजार इंजीनियर हो गए बेरोजगार सेल्फ हैल्प ग्रुप बंद करने के आदेश का विरोध किया।

जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राज्य के बीच हजार सेल्फ हेल्प ग्रुप को बंद करने के आदेशों के खिलाफ विरोधी स्वर गुंजने लगे हैं। जम्मू कश्मीर में बेरोजगार इंजीनियरों को रोजगार दिलाने के लिए 2004 में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने सेल्फ हेल्प ग्रुप की योजना चलाई। इसके तहत करीब बीस हजार इंजीनियरों को सरकारी विभागों में कांट्रेक्च्यूल बेस पर काम दिया जाता रहा। इंजीनियरों ने इस योजना के तहत सरकारी विभागों में काम लिया और स्थाई नौकरी की मांग भी नहीं की। सेल्फ हैल्प ग्रुप के जम्मू जिला के अध्यक्ष जयपाल सिंह के अनुसार उन्हें बीस फीसदी कमीशन पर काम दिया जाता रहा। पूर्व सरकार ने गाईडलाइन भी तैयार हुई कि किस तरह से सेल्फ हेल्प गु्रप को भुगतान किया जाएगा। योजना थी कि जो इंजीनियर जिस जिले का निवासी होगा। उसी जिले के इंजीनियर को काम दिया जाएगा।

पिछले 14 सालों से चली आ रही इस योजना को रद् कर दिया गया है। इंजीनियर बेरोजगार हो गए। जयपाल ने कहा जिन लोगों का काम चल रहा है। वह भी असमंजस की स्थिति में आ गए हैं। जो इंजीनियर काम कर रहे हैं, उन्हें योजना के तहत लाभ देने और उसे सदृड करने की बजाए इस योजना को ही समाप्त कर दिया है। प्रधानमंत्री स्वरोजगार की दावा करते हैं। इंजीनियर इसी योजना के तहत स्वरोजगार के तहत काम करते रहे हैं। इस योजना को बहाल करके इंजीनियरों को काम करने की मंजूरी दी जाए।

पूर्व उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने चार अगस्त को प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक की। इस बैठक में फैसला किया कि इंजीनियरों के सेल्फ हेल्प ग्रु्रप की योजना को बंद कर दिया जाए। पूर्व उपराज्पपाल मूर्मू बदले गए और नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कार्यभार संभाल लिया है। कार्यभार संभालने के बाद जनरल प्रशासनिक विभाग ने मेनाज सिन्हा की अनुपस्थिति में दस अगस्त को नोटिफिकेशन जारी कर दी। उपराज्यपाल दिल्ली में गए तो इंजीनियरों की रोजी रोटी छीन लिया गया। उपराज्सपाल से इंजीनियरों ने आग्रह किया कि इस योजना को दोबारा से लागू करें। इंजीनियरों को भी अब पता चला है कि सेल्फ हेल्प ग्रुप को बंद कर दिया गया है। जल्द ही इंजीनियर उपराज्यपाल से मिलेंगे।

आंदोलन की धमकी दी
जम्मू। सामाजिक संगठन टीम जम्मू के अध्यक्ष जोरावर सिंह ने सरकार से मांग की कि है कि सेल्फ हैल्प ग्रुप को दोबारा शुरू किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो युवा सड़कों पर उतर जाएंगे। सरकार ने रोजगार देने की बजाए बेरोजगारी बढ़ा दी है। आत्मनिर्भर बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना के तहत ही जम्मू कश्मीर के इंजीनियर आत्मनिर्भर बने थे। अब उनका रूपया भी विभागों में फंस गया है। सरकारी विभागों मंे टेंडर लेने के बाद स्वयं का पैसा लगाकर किया गया काम ठप हो गया है और पैसा मिलने की भी उम्मीद नहीं है। जोरावर सिंह ने कहा कि अगर सरकार ने अपना 4 अगस्त को फैसला वापस नहीं लिया तो विशाल आंदोलन किया जाएगा।

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एक साल से चल रही थी प्रक्रिया
जम्मू। पिछले साल ही प्रशासन ने जनवरी में पांच सदस्यों की उच्च स्तरीय इंजीनियरों की कमेटी बनाई थी। जिसमें चीफ इंजीनियर शामिल और उसे 31 अक्तूबर 2019 को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। रिपोर्ट पेश होने के एक साल बाद अचानक सेल्फ हेल्प गु्रप को बंद कर दिया गया। जिससे आरएंडबी, सिविल व अन्य विभागों से ठेके पर काम करने वाले इंजीनियरों को बेरोजगार होना पड़ा।

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