चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बनाई गई तबादला नीति पर मोहर लगा दी है। इस नीति पर मोहर लगने के बाद अब शिक्षकों को कम से कम सात साल तक एक ही स्कूल में पढ़ाना होगा और कोई भी शिक्षक तीन साल से पहले तबादले को लेकर कोई नोटिफिकेश शिक्षा मंत्रालय को नहीं भेजेगा। शिक्षा व्यव्स्था को बेहतर बनाने के लिए नीति का प्रारूप अध्यापकों, स्कूल मुखियों, अध्यापक संगठन और जन समूहों सहित अलग-अलग साझेदारों से विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है। इस नीति को शिक्षा मंत्रालय ने हरियाणा और कर्नाटक की शिक्षा नीति को ध्यान में रखकर बनाया है।
पंजाब सरकार की इस नई नीति के बाद सभी स्कूलों को जिला मुख्यालय से दूरी और मापदंडों के आधार पर पांच जोन में बांटा जाएगा। आम तबादले वर्ष में केवल एक ही बार किए जाएंगे और संभावित रिक्त पदों के लिए नोटीफिकेशन प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी तक वेबसाइट पर डाला जाएगा। योग्यता रखने वाले अध्यापक 15 जनवरी से 15 फरवरी तक तबादले के लिए अपनी इच्छा ऑनलाइन दर्ज करवा सकेंगे। तबादलों के आदेश मार्च के अंतिम सप्ताह में जारी होंगे और अध्यापकों की ज्वाइनिंग अप्रैल के पहले सप्ताह में होगी। सरकार की तबादला नीति के अंतर्गत अध्यापकों के तबादले के लिए सरकार ने अंक निर्धारित कर दिए है, जिसके तहत सबसे ज्यादा अंक उस अध्यापक को दिए गए हैं जो पिछड़े क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ा रहा है, जिसको 25 अंक दिए जाएंगे।
इसके अलाव महिलाओं शिक्षकों को पांच अंक, विधवा,तलाकशुदा, अविवाहित शिक्षिकाओं को 10 अंक दिए जाएंगे। विशेष आवश्यकताओं वाले शिक्षकों को 10 अंक दिए जाएंगे। वहीं बौद्धिक तौर पर विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के माता-पिता के लिए भी 10 अंक रखे गए हैं। सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने पर 15 अंक मिलेंगे। इसी तरह बढिया प्रदर्शन वाले अध्यापकों के लिए 25 अंक रखे गए हैं और 15 अंक उन अध्यापकों के लिए रखे गए हैं जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएंगे। इसके अलावा मंत्रालय ने इस नीति के तहत ये भी लागू किया है कि लड़कियों के स्कूलों में 50 वर्ष से कम आयु के पुरुष शिक्षक नहीं होंगे।