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वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और कंडी एरिया के विकास के लिए किया मात्र 100 करोड़ की राशि का प्रावधान

पंजाब 12 वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और कंडी एरिया के विकास के लिए किया मात्र 100 करोड़ की राशि का प्रावधान

नई दिल्ली। वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट और कंडी एरिया के विकास के लिए मात्र 100 करोड़ की राशि का प्रावधान किया। हालांकि यह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। पाकिस्तान सीमा पर बसे गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर और अबोहर के लाखों लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने व मूलभूत सुविधाओं के लिए इस बजट में दी गई राशि से लगभग 150 किलोमीटर के बॉर्डर क्षेत्र में क्या विकास होगा, सरकार को अभी यह तय करना है। 

सच यह है कि बॉर्डर बेल्ट में रहने वाले लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। धुस्सी बांध से सटे गांवों के रहने वाले लोगों को आजादी के बाद गठित सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध करवाने में नाकाम रही। इन लोगों की समस्याओं में इजाफा अवैध ढंग से हो रही माइनिंग ने भी किया है। सुबह से लेकर रात तक बड़े-बड़े ट्रक-ट्राले रेत लेकर धुस्सी बांध से गुजरते है तो उड़ने वाली धूल से यहां के लोगों का जीवन मुश्किल हो रहा है। 

पाकिस्तान के साथ सटे इन गांवों के युवा या तो नशे की दलदल में फंसे हैं या पाकिस्तान में बैठे तस्करों के साथ मिल कर हेरोइन व हथियारों की तस्करी के धंधे में शामिल हैं। कभी बॉर्डर एरिया के युवाओं को सेना, अर्धसैनिक बलों व पंजाब पुलिस में भर्ती के लिए प्राथमिकता दी जाती थी, लेकिन सरकार की ढुलमुल नीतियों के कारण युवकों को इससे भी वंचित होना पड़ा।

रावी नदी के तट पर बसे गुरदासपुर और अमृतसर के कई गांव ऐसे हैं, जहां लोगों को दरिया पार करने के लिए आज भी नाव का सहारा लेना पड़ता है। सरकारें दरिया पर पुल का निर्माण नहीं कर सकी है। देश की पहली डिफेंस ड्रेन के ऊपर बने तंग पुलों को चौड़ा करने का काम भी शुरू नहीं किया गया। बॉर्डर एरिया के लोगों के लिए पीने के स्वच्छ पानी की बड़ी समस्या है। 2007 में केंद्रीय सरकार के वफद ने बॉर्डर एरिया में पीने के पानी की स्थिति जायजा लिया था लेकिन इस वफद की रिपोर्ट पर आज तक अमल नहीं हुआ।

बादल ने गठित किया था बॉर्डर विकास बोर्ड

तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने बॉर्डर जिलों के विकास के लिए 1997 में बॉर्डर विकास बोर्ड का गठन किया था। बादल सरकार ने कंटीले तार के उस पार के जमीन मालिक किसानों को केंद्र के सहयोग से तीन हजार प्रति एकड़ का मुआवजा देना शुरू किया था। बादल सरकार के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस सुविधा को खत्म कर दिया था। 

सीमावर्ती किसानों की सबसे बड़ी समस्या कंटीले तार के उस पार खेती के लिए जाना है। बीएसएफ ने इसके लिए कुछ घंटे निर्धारित किए हुए हैं। इसको लेकर सीमावर्ती किसानों ने कई बार विरोध प्रदर्शन भी किए। बॉर्डर एरिया के लोगों की एक अन्य समस्या यह भी है कि ट्रांसपोर्ट के साधन कम होने के कारण लोगों को आने-जाने में कठिनाई आती है।

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