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बुराड़ी के फांसीकांड का रहस्य सुलझाने के लिए अब होगा ये, सुलझेगा मोक्ष का राज

बुराड़ी कांड

नई दिल्ली।  देश को हिला देने वाली सनसनीखेज बुराड़ी कांड को लेकर आए दिन कोई ना कोई नई चीज सामने आ रही है। दिल्ली पुलिस इस दिल दहला देने वाली घटना का सच सामने लाने के लिए अब साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी या मनोवैज्ञानिक परीक्षण करवाने जा रही है। राजधानी दिल्ली में 11 लोगों की खुदकुशी का सच सामने लाने के लिए अब साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी या मनोवैज्ञानिक परीक्षण होने जा रहा है जिससे ये साबित हो पाएगा कि ये सामूहिक फांसीकांड हत्या है या खुदकुशी जिसको लेकर पुलिस तफ्तीश से चांज कर रही है।

बुराड़ी कांड
बुराड़ी कांड

बुराडी के इस फांसीकांड को लेकर आए दिन कोई ना कोई नई चीज सामने निकलकर आ रही है। पुलिस जहां इस घटना को खुदकुशी बता रही है तो वहीं परिजन इस घटना को साजिश करार दे रहे हैं। अभी तक माना ये जा रहा है कि यह पूरा परिवार ही साझा मनोविकृति (शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर) का शिकार रहा होगा। यही वजह है कि अब पुलिस इस मामले से पर्दा उठाने के लिए कुछ नई तकनीक पर हाथ आजमाना चाहती है।

शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर

शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर एक तरह का मानसिक अवस्था को पता लगाने का जरिया है जिसमें कोई एक व्यक्ति भ्रमपूर्ण मान्यताओं का शिकार होता है। उससे जुड़े दूसरे लोग भी उसके भ्रम को मान्यता देने लगते हैं। दरअसल, छोटे भाई ललित को पिता की मौत के बाद भी उन्हें देखने और उनसे बात करने का भ्रम था। उसका पूरा परिवार भी इस भ्रम में विश्वास रखता था। इसीलिए पुलिस मनोवैज्ञानिक परीक्षण के जरिए साइकोटिक डिसऑर्डर की जांच करना चाहती है। ऐसा करने की सबसे बड़ी वजह यही है कि मामले की जांच में भाटिया परिवार में साझा मनोविकृति के लक्षण दिखाई दिए हैं।

बुराड़ी कांड में नया खुलासा-ललित के अलावा आत्माओं ने ली 11 की जान
पुलिस की अब तक की थ्योरी

बुराड़ी कांड की अब तक की थ्योरी की बात करें तो कहा जा रहा है कि ललित जो इस परिवार का बीच का बेटा था उसे अपने सपने में पिता नजर आते थे जो मर चुके हैं। उन्हीं के बताएं अनुसार ललित ये काम करता है। एक साथ इस तरह के भ्रम की स्थिति में होने वाले परिवार को शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर का शिकार माना जाता है। इसका शिकार होने पर व्यक्ति अंधविश्वास व भ्रम को सही मान लेता है। इस वजह से पुलिस भटिया परिवार की मन: स्थिति की जांच कराना चाहती है। भाटिया परिवार साझा मनोविकृति से ग्रस्त था, इसके संकेत घटनास्थल से बरामद रजिस्टर से ये बात निकल कर आई है कि ललित को मृत्यु के बाद भी पिता को देखने और उनसे बात करने का भ्रम था।

अब आगे क्या

बुराड़ी कांड में अब आगे की बात करें तो पुलिस अब इन मरे हुए लोगों का साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कराने जा रही है जिससे अब ये पता चल पाएगा कि मरने से पहले इनके दिमाग में क्या चल रहा था। ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी’ दरअसल, आत्महत्याओं की जांच करने का एक तरीका है जिसका विश्लेषण कर उस शख्स की मन:स्थिति का पता लगाया जाता है।

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