लखनऊ। 29 वर्षीय युवक को जब बुखार आया तो डाक्टरों ने उसे रेमडिसिविर का इंजेक्शन लगा दिया। उस समय तक कोविड की रिपोर्ट भी नहीं आयी थी। इंजेक्शन लगाते ही युवक की हालत बिगड़ गयी। कुछ देर में उसकी सांसे थम गयीं।
ये है मामला
इंदिरा नगर सेक्टर-18 के रहने वाले अंकित वर्मा(29) को 17 अप्रैल को तेज बुखार आ गया। बुखार आने के बाद अंकित ने मेडिकल स्टोर से दवा ले ली। दवा लेने के बाद भी बुखार नहीं उतरा। हालत बिगडऩे पर उसके भाई राजन ने अंकित को दो दिन बाद 19 तारीख को चौक स्थित हेरिटेज हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया। डाक्टरों ने बताया कि अंकित का ऑक्सीजन लेवल लगातार कम हो रहा है उसे आईसीयू में भर्ती करना पड़ेगा।
अंकित की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था। डाक्टरों ने तीमारदारों से रेमडिसिवर इंजेक्शन मंगवाया। काफी मुश्किलों के बाद राजन मंहगे दाम पर रेमडिसिवर इंजेक्शन की व्यवस्था की। राजन ने आरोप लगाया कि डाक्टरों ने अंकित का कोविड टेस्ट भी नहीं कराया और इंजेक्शन की डबल डोज दे दी। इंजेक्शन लगने के बाद अंकित की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ गई। गुरुवार की रात अंकित ने दम तोड़ दिया।
बिना जांच दिए इंजेक्शन
राजन ने बताया कि अंकित का कोरोना टेस्ट नहीं हुआ था। उन्होंने डाक्टरों से इलाज से पहले कोरोना टेस्ट कराने की बात कही थी। इस पर डाक्टर भडक़ गए और कहा कि टेस्ट कराने पर भी वह पॉजिटिव आएगा। उन्हें इसकी पूरी जानकारी है। राजन के अनुसार डाक्टरों ने जांच कराए बगैर ही अंकित को एक ही दिन में रेमेडिसिवर इंजेक्शन की डबल डोज दी। इससे अंकित की हालत बिगड़ गई। डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने सीएम पोर्टल व चौक पुलिस से मामले की शिकायत की है।
इलाज के लिए लिए साढ़े तीन लाख
राजन का कहना है कि अंकित के इलाज के लिए अस्पताल प्रशासन ने आईसीयू व ऑक्सीजन आदि के लिए उससे करीब साढ़े तीन लाख रुपये वसूल लिए। राजन के मुताबिक रेमडेसिविर का प्रति वॉयल 16 हजार रुपये में खरीदा था। इतना रुपया खर्च होने के बाद भी भाई अंकित की जान नहीं बची। मामले में हेरिटेज अस्पताल के डॉ. वीरेंद्र से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी।