छतीसगढ़। कोरोना की वजह से पूरे देश को आर्थिक स्थिति से जूझाना पड़ रहा है। कोरोना के कारण किसी व्यापार को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो कहीं इसकी वजह से लोगों को राहत भी मिली है। जानकारी के अनुसार प्रत्येक तीन वर्षों में कोसा का मूल्य निर्धारित किया जाता है। कोरोना काल में बुनकारों को रियायत देने के लिए इस वर्ष कोसा फल की कीमत में ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम ने पूर्ववत ही रखा है। दर नहीं बढ़ने से बुनकरों को राहत मिलेगी। वहीं मांग बढ़ने से संग्राहक किसानों को भी लाभ होगा। तसर केन्द्रों के अलावा वन क्षेत्रों में कोसा का संग्रहण जारी है। तीन साल पहले केंद्रीय रेशम बोर्ड ने जो दर निर्धारित किया था उसके अनुसार उत्तम कोसा की कीमत 350 रुपये सैकड़ा है।
उत्तम कोसा की कीमत 350 रुपये सैकड़ा-
बता दें कि निम्न स्तर के कोसा का दाम ढाई सौ से दो सौ रुपये सैकड़ा है। वहीं उत्तम कोसा की कीमत 350 रुपये सैकड़ा है। यह दर अब आगामी तीन साल तक लागू रहेगा। तीन चक्र में कोसा का उत्पादन किया जाता है। अब तक जिले में 1 करोड़ 60 लाख नग कोसा उपार्जित किया जा चुका है। इस वर्ष 2.56 करोड़ उपार्जन का लक्ष्य जिले को मिला है। तीसरे चक्र में 96 लाख उत्पादन की आवश्यकता है। तीसरे चक्र के फसल के लिए किसान तैयारी में जुट गए हैं।अधिकारी की माने तो तीसरे फसल चक्र फरवरी माह तक तैयार हो जाएगा। जिले 50 तसर केंद्र के अलावा डेढ़ हजार हेक्टेयर वन क्षेत्रों में कोसा संग्रहित किया जाता है। मौसम अनुकूल होने से लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा। जहां तक कोसा के दर निर्धारण पर गौर किया जाए तो ग्रामोद्योग संचालनालय तय करता है। इसमें समिति गठित होती है जिनके द्वारा उत्पादन और मांग का अवलोकन किया जाता है। इस वर्ष कोरोना लाक डाउन के कारण कपड़ों की मांग घट है। इससे कोसा की भी मांग घट गई। बुनकरों और संग्राहकों को राहत देने के लिए मूल्य को पूर्ववत ही रखा गया है।
जिले में कोसा उत्पादन की असीम संभावनाएं-
बिलासपुर जिले के वन क्षेत्रो में कोसा उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं। कोकून तैयार करने में नए किसानों के अलावा आदिवासी जनजाति के लोगों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। नैसर्गिक प्राकृतिक कोसा में तसर केंद्र के कोसा से अधिक धागा निकलता है। कोरोना काल के दौरान बाजार बंद होने से बुनकरी भी बंद थी। अब जबकि बाजार खुलने लगा है ऐसे में कोसा के कारोबार में तेजी आने लगी है। महिला समूहों के तैयार किए गए। कोसा ताना से बुनकरी की जाने लगी है।