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UP को पहले आयुष विश्वविद्यालय की सौगात, राष्ट्रपति ने बटन दबाकर किया शिलान्यास

UP को पहले आयुष विश्वविद्यालय की सौगात, राष्ट्रपति ने बटन दबाकर किया शिलान्यास

गोरखपुरः उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास समारोह में पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वैदिककाल से प्रतिष्ठित आयुष प्रविधियों की महत्ता को आधुनिक काल में स्थापित करते हुए कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को नियंत्रित करने में आयुष ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह विश्वविद्यालय आयुर्वेद, योग, यूनानी, होम्योपैथी व सिद्ध के अलग-अलग महाविद्यालयों के सत्र, पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम के नियमन तथा इन चिकित्सा पद्धतियों का लाभ आमजन तक और सुलभ कराने का काम करेगा।

बता दें कि प्राचीन एवं परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के संरक्षण व संवर्धन की दिशा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर स्थापित होने वाला यह विश्वविद्यालय परम्परागत चिकित्सा पद्धति के विकास में मील का पत्थर स्थापित करेगा। पूर्वांचल के लिए गौरव की बात यह होगी कि इस आयुष विश्वविद्यालय का नाम योग की तमाम विधाओं के प्रणेता महायोगी गोरखनाथ के नाम पर होगा।

भटहट के पिपरी में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास स्थल पर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सबसे पहले वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कर आधारशिला रखी और इसके बाद मुख मंच से शिलान्यास पट्टिका का बटन दबाकर अनावरण किया। भूमि पूजन कार्यक्रम में उनकी पत्नी व देश की प्रथम महिला सविता कोविंद, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।

यदे सुखम तद: स्वर्गम, यदे दुखम तद नर्कम

शिलान्यास समारोह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वैदिक काल से ही आरोग्य को सर्वाधिक महत्व दिया है। उनका मानना था कि किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए शरीर पहला साधन होता है। योग के माध्यम से सामाजिक जागरण का अलख जगाने वाले महायोगी गोरखनाथ ने कहा है, ‘यदे सुखम तद: स्वर्गम, यदे दुखम तद नर्कम’।

उन्होंने कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने की जो पद्धतियां प्राचीन काल से प्रचलित रही हैं, उन्हें ही सामूहिक रूप में आयुष कहा गया। उन्होंने यह कहते हुए प्रसन्नता जताई कि महायोगी गोरखनाथ के नाम पर आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना हो रही है और जल्द ही इससे संबद्ध होकर उत्तर प्रदेश में आयुष के सभी संस्थान और बेहतर कार्य कर सकेंगे।

पूरी दुनिया ने भारत की औषधियों का माना लोहा- सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलायी। आज उसी क्रम में अंतराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। भारत सरकार ने अलग से आयुष मंत्रालय का गठन किया है। इस मंत्रालय ने लोगों को आरोग्यता प्रदान करेने का लक्ष्य निर्धारित किया है। डेढ़ वर्ष में पूरी दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप है। इसमें दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं है, जिन्होंने भारत की परंपरागत आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का अनुसरण न किया हो। आज दुनिया में हल्दी का पानी पीने के लिए लाइन लग रही है। जबकि अपने में वर्षों हर भोज्य पदार्थ में हल्दी का उपयोग किया जाता रहा है। देश की आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति को आगे ले जाने के क्रम में ही प्रदेश सरकार के प्रदेश आयुष विश्वविद्यालय स्थापित करने जा रही है। इस आयुष विश्वविद्यालय का राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के कर कमलों से भूमि पूजन व शिलान्यास हो चुका है। प्रदेश का यह विश्वविद्यालय प्रदेश के सभी आयुष विद्यालय, होम्योपैथिक कालेज के शैक्षणिक सत्र को एकरूपता प्रदान करेगा।

बता दें कि यह विश्वविद्यालय 299.87 करोड़ की लागत से बनेगा। इसके लिए कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग डीपीआर बनाकर भेज चुकी है।

मंच पर लगे जय श्रीराम के नारे

मंच को संबोधित करने आए योगी आदित्‍यनाथ ने आते ही भारत माता की जय और वंदेमातरम से जोश भरा। पूरा पंडाल जय श्री राम के नारे से गूंज उठा। मुख्‍यमंत्री ने सभी का अभिवादन किया। कहा कि गोरखनाथ की धरती पर राष्ट्रपति का स्वागत करता हूं। यह हम सब का सौभाग्य है कि भारत की चिकित्सा पद्धति को नरेंद्र मोदी ने जो पहचान दी उसका लोहा पूरी दुनिया मान रहा है।

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