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राष्ट्रपति ने AIFPA के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का किया उद्घाटन

राष्ट्रपति ने AIFPA के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का किया उद्घाटन

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ”अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण एसोसिएशन” के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अखिल भारतीय खाद्य प्रसंस्करण एसोसिएशन ने अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है। वह बड़ी और छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को एक साझा मंच पर ले आई है। उसने समेकित खाद्य श्रृंखलाएं स्थापित करने के लिए सभी उपयुक्त साझेदारों के प्रयासों को समन्वित किया है और राष्ट्र के कल्याण में योगदान दिया है।

 

राष्ट्रपति ने AIFPA के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का किया उद्घाटन
राष्ट्रपति ने AIFPA के प्लेटिनम जुबली सम्मेलन का किया उद्घाटन

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राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे किसान निस्वार्थ परिश्रम और कृषि तथा एग्रो प्रोसेसिंग में तकनीकी और औद्योगिक सुधार के लिए धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास आज खाद्यान्न की कमी नहीं है। अनेक कृषि उत्पादों और यहां तक जब प्रसंस्कृत खाद्यान्नों की बात होती है हमारे पास अतिरिक्त है। विश्व बाजार में हमारी हिस्सेदारी बढ़ रही है। अब समय आ गया है जब व्यापक आर्थिक लाभों के लिए, हम अपनी महत्वाकांक्षाएं बढ़ाए लेकिन अपने किसानों की समृद्धि को सर्वोपरि रखें।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें कृषि उत्पादन से उपभोग तक खाद्य श्रृंखला की विभिन्न प्रक्रियाओं में लाभ की कड़ी को जोड़ना चाहिए। देश के भीतर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसानों को उनकी फसल से प्राप्त मूल्यों और खाद्यान्न का उपयोग करने वालों द्वारा भुगतान किए गए मूल्यों के बीच पर्याप्त अंतर है। इसे कम करना जरूरी है।

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ऐसा मांग और आपूर्ति की सुरक्षा के लिए किया जाना चाहिए। इससे व्यवसाय के रूप में खेती निरंतरता बनी रहेगी। किसानों की तत्परता और खेत में काम कर रहे खेतिहर मजदूरों को प्रोत्साहित किए बिना, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग बंद हो जाएगा। इसका मूलभूत अंश-कृषि उत्पाद ही नहीं रहेगा। किसान केवल उनका आपूर्तिकर्ता ही नहीं है, वह उनका अभिन्न सहयोगी भी है।

भारत में अन्न की बर्बादी के स्तर की और इशारा करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि अन्न की बर्बादी से न केवल आर्थिक सवाल खड़े होते हैं, बल्कि नैतिकता पर भी सवाल उठते हैं। हम एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां आमदनी और उपभोग में निर्विवाद असमानताएं हैं। बेहतर और अधिक युक्तिसंगत खाद्यान्न वितरण से हम अन्न की बर्बादी को आसानी से रोक सकते हैं।

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