नई दिल्ली। देश के 14वें राष्ट्रपति के रुप में रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, प्रणब मुखर्जी और जस्टिस जे एस खेहर की मौजूदगी में शपथ लिया हैं। अब वह राष्ट्रपति भवन में रहेंगे पढ़े राष्ट्रपति और उनके शपथ, राष्ट्रपति भवन, 21 तोपों की सलामी, और उनकी खास सवारी शाही बग्घी के बारें में।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने लिया शपथ
24 जुलाई को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल समाप्त हो गया है। इसके साथ ही अब देश को अपना नया राष्ट्रपति भी मिल गया है। रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को देश के 14वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। वह प्रधानमंत्री, प्रणब मुखर्जी और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की मौजूदगी में देश के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेने वाले हैं। शपथ ग्रहण समारोह से पहले रामनाथ कोविंद राजघाट पहुंचे। राजघाट पहुंचने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की है।
राष्ट्रपति को मिली 21 तोपों की सलामी
मंगलवार को रामनाथ कोविंद ने देश के 14वें राष्ट्रपति पद की शपथ ली सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने उन्हें शपथ दिलाई इसके बाद सम्मान में उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन सहित सभी केन्द्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्री उपस्थित रहें।
राष्ट्रपति भवन क्यों है खास
राष्ट्रपति भवन इटली के रोम स्थित क्यूरनल पैलेस के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निवास स्थान है। इसे तैयार होने में पूरे 17 वर्षों का समय लगा था इसका निर्माण कार्य 1912 में शुरू हुआ था और 1929 में यह बन कर तैयार हुआ था इसके निर्माण कार्य में करीब 29,000 लोग लगाए गए थे।
राष्ट्रपति भवन 330 एकड़ में फैली है इस चार मंजिला इमारत में 340 कमरे हैं 2.5 किलोमीटर का कॉरिडोर है इस भवन के 190 एकड़ के हिस्से में सिर्फ बगीचे हैं इसे बनाने में कुल 140 लाख रुपए की लागत आई थी. 29 हजार मजदूर, 70 करोड़ ईंटें, 30 लाख वर्ग फीट पत्थर और स्टील इसमें लगा है इस भवन में राष्ट्रपति कार्यालय, अतिथि कक्षों और कर्मचारी कक्षों समेत 300 से भी अधिक कमरे हैं।
राष्ट्रपति की शाही बग्घी
राष्ट्रपति की ये शाही सवारी बेहद ही खास है सोने से सजी धजी इस बग्घी के दोनों ओर भारत का राष्ट्रीय चिन्ह सोने से अंकित है इसे खीचने के लिए 6 घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता है ये घोड़े विशेष नस्ल के होते है इसके लिए खास तौर से भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई मिक्स ब्रीड के घोड़ो का इस्तेमाल किया जाता है आजादी के बाद 1950 से लगातार 1984 तक सरकारी कार्यक्रमों में बग्घी का इस्तेमाल होता था बाद में इसे रोक दिया गया लेकिन 2012 में प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद इस पंरपरा को फिस से शुरु कर दिया गया।
सृष्टि विश्वकर्मा.