नई दिल्ली। गर्भावस्था में आहार को लेकर एक पहलु ऐसी चीजों का है जो ऐसे नाजुक वक्त में नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा गर्भावस्था में डॉक्टर द्वारा गर्भवती को बहुत सीमित दवाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति मिलती है। क्योंकि कुछ दवाओं का बढ़ते हुए भ्रूण पर बुरा असर पड़ सकता है। एंटीबायोटिक और पेन रिलीफ दवाओं का सेवन भी निर्धारित होता है। कुल मिलाकर ऐसी परिस्थिति में यह जरूरी है कि गर्भवती महिला को किसी भी प्रकार का इन्फेक्शन ना होने पाए।
कई होटलों में सलाद और फल खाने के मेन्यू का हिस्सा होते हैं और आप अलग से भी सलाद और फलों का आर्डर दे सकती हैं। लेकिन यह फल और सलाद कई घंटे पहले काटे जाते हैं। और इनमें कई प्रकार के कीटाणु होते हैं जो। आपको इन्फेक्शन का शिकार बना सकते हैं। फलों का रस बनाते वक्त साफ़ पानी का इस्तेमाल नहीं होता और ना ही मैं साफ बर्तन में बनाए जाते हैं। अगर आप फलों के रस का सेवन करना चाहती हैं। तो उन्हें अच्छी तरह से साफ करें और रस घर में ही बनाएं। फलों के रस के मुकाबले साबूत फलों का सेवन करना ज्यादा अच्छा रहता है। क्योंकि इनमे आपको ज्यादा पोषण और फाइबर देते हैं और आपके ब्लड शुगर को बढ़ने नहीं देते।
अंडों में साल मोनेला स्पीकेएसएस बक्टेरिया जीवाणु होते हैं जो की कई इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं। इसीलिए गर्भावस्था में अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनको पचाना आसान नहीं होता अगर आप इनका सेवन करते हैं। उसे तुरंत बंद कर दे। डब्बा बंद हो या कैसा भी इनका सेवन भूलकर भी ना करें। क्योंकि इनमे मरकरी के बढे हुए स्तर पाए जाते हैं जो बच्चे के मानसिक विकास पर असर डालते हैं।
मिठाई आपको किसी प्रकार का पोषण नहीं देती। ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करने से आपका वजन जरूरत से ज्यादा बढ़ सकता है जो कि बच्चे के जन्म के वक्त परेशानी पैदा कर सकता है। साथ ही यह इन्सुली सेंसिविटी का कारण बन सकता है और भ्रूण को नुकसान पहुंचा सकता है। चाय और कॉफ़ी का अधिक सेवन बच्चे के विकास में तकलीफ पैदा कर सकता है और मानसिक एवं शारीरिक कमी का कारण बन सकता है इसलिए दिन में दो कप चाय या कॉफ़ी तक ही सिमित रहे।