नई दिल्ली। आधार कार्ड को वोटर कार्ड से जोड़ने के पक्ष में केंद्र सरकार कतई नहीं है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ये बात एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि मैं ये बात एक आईटी मिनिस्टर के तौर नहीं बल्कि एक व्यक्तिगत विचार के तौर पर कह रहा हूं। प्रसाद ने कहा कि मुझे लगता है कि आधार कार्ड को वोटर कार्ड से लिंक नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि दोनो कार्डस का अर्थ अलग-अलग है। मैं नहीं चाहता की केंद्र सरकार पर लोगों की जासूसी करने का आरोप लगे।
मंत्री ने कहा कि अगर हम आधार और वोटर कार्ड को जोड़ने की बात करेंगे को हमारे विरोधी कहेंगे की पीएम मोदी लोगों की जासूसी करा रहे हैं। वे ये जानना चाह रहे हैं कि लोग क्या खाते हैं और कौन सी फिल्म देखते हैं। मैं नहीं चाहता ऐसा कुछ हो। उन्होंने कहा कि वोटर कार्ड चुनाव आयोग के वेब पोर्टल से लिंक है, ऐसे में आपको पोलिंग बूथ और चुनाव से जुड़ी जानकारियां मिलती रहेगी और आधार का इससे कोई वास्ता नहीं है। हालांकि रविशंकर ने बैंक अकाउंट से आधार को जोड़ने का समर्थन किया है।
उन्होंने कहा है कि ऐसा करने से पारदर्शिता आएगी। प्रसाद का कहना है कि बैंक अकाउंट से आधार को जोड़ने पर ये पता चलेगा कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लोगों को मिल भी रहा है या नहीं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आधार और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के आधार में बहुत बड़ा अंतर है। मनमोहन सिंह के आधार को कानून का समर्थन नहीं था जबकि मोदी का आधार कानून द्वारा समर्थित है। इसके अलावा यह पूरी तरह से सुरक्षित भी है।
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि करीब 80 करोड़ मोबाइल फोन को बैंक अकाउंट से लिंक किया जा चुका है। इसके साथ ही करीब 31 करोड़ जन धन अकाउंट खोले जा चुके हैं और 120 मोबाइल नंबर को आधार से लिंक कराया जा चुका है। इस मामले पर उन्होंने आगे कहा कि एक बार पीएम राजीव गांधी ने कहा था कि लोगों के कल्याण के लिए अगर सरकार एक रुपए जारी करती है तो जनता तक केवल 15 पैसे ही पहुंचते हैं और अब सरकार अगर जनता को 1000 रुपए देना चाहती है तो वह सीधे उनके अकाउंट में पहुंचेंगे।