नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म होने जा रहा है। इससे पहले प्रणव मुखर्जी ने दो क्षमा याचिकाओं को रद्द कर दिया है। प्रणव मुखर्जी ने जिन दो याचिकाओं को रद्द किया है जिनमें से पहली याचिका इंदौर से है और दूसरी पणें से है। इन दोनो याचिकाओं को रद्द करने के बाद प्रणव मुखर्जी द्वारा रद्द की गयी याचिकाओं की संख्या अब 30 हो गयी है।
इन याचिकाओं में जो पहला केस है वो मध्य प्रदेश के इंदौर का है 2012 में एक चार साल की नाबालिग बच्ची के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी जिसमें तीन दोषी पाए गए है।और दूसरा केस भी रेप का है पुणे में एक कैब ड्राइवर ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक युवती के साथ रेप किया और फिर उसकी हत्या कर दी थी।
आपको बता दें की इंदौर के केस में तीन लोग दोषी है जिनके नाम पहला जितेंद्र उर्फ जीतू,बाबू उर्फ केतन और तीसरा देवेंद्र उर्फ सनी है इन तीनों को 4 साल की बच्ची का रेप करने के बाद उसकी हत्या करने के आरोपी है। इन तीनों लोगो ने पहले बच्ची को अगवा किया और फिर बच्ची के साथ रेप जैसा घिनौना दुष्कर्म किया और फिर बच्ची की हत्या कर दी थी जिसके बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है।
दूसरा मामला पुणे का है,पुरुषोत्म दसरथ बोरेट और प्रदीप यशवंद ने वीप्रों में करने वाली 22 साल की युवती के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी थी जिसमें ये दोनों दोषी पाये गये है,इस केस में भी दोषियों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।
इन दोनों याचिकाओं को खारिज करने के बाद प्रणव मुखर्जी द्वारा कुल 30 याचिकाओं को खारिज कर चुके है। इससे पहले भी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 26/11 के दोषी अजमल कसाब और 2001 में हुए संसद हमले में पाए गए दोषी अफजल गुरु,और मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकुब मेनन द्वारा राष्ट्रपति को भेजी गई क्षमा याचिका को भी खारिज कर दिया था। आपको बता दें की राष्ट्रपति के लिए क्षमा याचिकाओं पर फैसला लेने के लिए कोई समयसीमा नहीं होती है। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में किसी भी क्षमा याचिका पर विचार नहीं किया था।