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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का दोपहर 2 बजे होगा अंतिम संस्कार

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। वह 10 अगस्‍त से अस्‍पताल में भर्ती थे। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर करीब 2 बजे नई दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा। प्रणब की पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए उनके 10 राजाजी मार्ग स्थित आवास पर रखा गया हैं। प्रणब मुखर्जी हिंदुस्तान के लोकप्रिय नेता, शानदार लेखक और महान विचारक के रूप में जाने जाते थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि दी। कोरोना प्रोटोकॉल के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे प्रणब

प्रणब मुखर्जी का सोमवार शाम निधन हो गया था। प्रणब दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल (आर आर) अस्पताल में भर्ती थे। उनके ब्रेन से क्लॉटिंग हटाने के लिए इमरजेंसी में सर्जरी की गई थी। इसके बाद से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। जिसके चलते उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। प्रणब मुखर्जी कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे। प्रणब के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया हैं।

राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी ने जताया शोक

प्रणब मुखर्जी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया हैं। मोदी ने लिखा- “भारत रत्न श्री प्रणब मुखर्जी के निधन पर भारत शोक व्यक्त करता है। उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। वे एक विद्वान स्कॉलर रहे। उन्हें समाज के हर वर्ग ने पसंद किया। मैं 2014 में दिल्ली में पहुंचा। पहले ही दिन से मुझे श्री प्रणब मुखर्जी का मार्गदर्शन, समर्थन और आशीर्वाद मिला। मैं हमेशा उसके साथ अपनी बातचीत को संजोकर रखूंगा। उनके परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और पूरे भारत में उनके समर्थकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। ओम शांति।”

श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे ने दी श्रद्धांजलि

बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया हैं।

भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने कहा, “अपने करियर के दौरान प्रणब मुखर्जी ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।”

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि प्रणब एक अच्छे राजनेता, लेखक और सभी का प्यार पाने वाले इंसान थे। उन्होंने जिस तरह अपने देश की सेवा की उसकी तुलना नहीं की जा सकती।

लालकृष्ण आडवाणी ने जताया शोक

वही वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा, “वो मेरे लिए एक साथी से कहीं बढ़कर थे। हमने दोनों ने अपने सामाजिक दायरे के अंदर और बाहर बहुत सारे अनमोल पल व्यतीत किए हैं। उन्होंने कहा कि उनके साथ अक्सर खाना खाने की यादें मेरे दिल में खास जगह रखती हैं।”

संघ ने बताया अपूरणीय क्षति

संघ ने कहा कि भारत के राजनीतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा। संघ के प्रति प्रणब मुखर्जी के प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्गदर्शक थे। उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति हैं।

भारत रत्न से सम्मानित थे प्रणब

बेटी शर्मिष्ठा ने ट्वि‍टर अकाउंट पर लिखा कि पिछले साल 8 अगस्त मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था, क्योंकि उस दिन मेरे पिता को भारत रत्न से नवाजा गया था। उसके ठीक एक साल बाद 10 अगस्त को उनकी तबीयत खराब और गंभीर हो गई।

क्लर्क और लेक्चरर भी रहे प्रणब

प्रणब का जन्म ब्रिटिश दौर की बंगाल प्रेसिडेंसी (अब पश्चिम बंगाल) के मिराती गांव में 11 दिसंबर 1935 को हुआ था। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस और हिस्ट्री में एमए किया। वे डिप्टी अकाउंट जनरल (पोस्ट एंड टेलीग्राफ) में क्लर्क भी रहे। 1963 में वे कोलकाता के विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर भी रहे।

1969 में शुरू हुआ प्रणब का राजनीतिक सफर

प्रणब मुखर्जी के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1969 में हुई। उन्होंने मिदनापुर उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन का कैम्पेन सफलतापूर्वक संभाला था। तब प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें पार्टी में शामिल कर लिया। और 1969 में ही प्रणब मुखर्जी राज्यसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्यसभा के लिए चुने गए।

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