चंडीगढ़। देश में आपने एक से एक अफसर देखें होंगे लेकिन क्या आपने कभी ऐसा अफसर देखा है जिसके पास न तो वेतन हे न गाड़ी और न ही कोई स्टाफ है। आखिल ऐसा क्यों है और इसके पीछे क्या वजह है कि इस अफसर को हर सुविधा से वंचित रखा जा रहा है। दरअसल हम बात कर रहे 70 तबादले झेल चुके प्रदीप कासनी लैंड यूज बोर्ड में ओएसडी लगाए जाने के बाद से दफ्तर और गाड़ी के लिए भटक रहे हैं। उनके पास न तो गाड़ी है और न ही वेतन। सरकार ने जब से उन्हें इस विभाग में ओएसडी नियुक्त किया है। उसी वक्त से वो बिना वेतन के काम कर रहे हैं। जब कासनी को तनख्वाह नहीं मिली तो उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटया।
बता दें कि जहां कासनी को अपनी तनख्वाह पाने के लिए सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में जाने की सलाह दी गई थी। तो कासनी ने कैट से अपनी तख्वाह ब्याज के साथ मांगी इस पर कैट ने बीते मंगलवार को उनके हक में फैसला दिया और सात ही उन्हें जल्द ही सभी लाभ देने का भी आदेश दिया। कासनी को कैट के फैसले के बाद सेक्टर-17 के सचिवालय में कमरा तो दिया गया। लेकिन कमरे तक जाने के लिए न तो उन्हें गाड़ी दी गई और न ही साथ काम करने के लिए स्टाफ दिया गया। लिहाजा कासनी स्टाफ और गाड़ी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। और इंतेजार कर रहे कि कब उन्हें सारी सुविधाएं दी जाएंगी।
वहीं कासनी का कहना है कि पिछले कई साल से यह विभाग है ही नहीं जिसमें उन्हें लगाया गया है। सरकार ने कासनी को गत 22 अगस्त को लैंड यूज बोर्ड का ओएसडी लगाया था। इसके बाद से वे वेतन का इंतजार कर रहे हैं। गत 17 नवंबर को उन्होंने राज्य सरकार के खिलाफ अपील की। इससे पहले जब वे हाईकोर्ट गए तो हाईकोर्ट ने उन्हें 13 नवंबर को ट्रिब्यूनल में जाने की सलाह दी। बकौल कासनी जब यह विभाग होता था तब इसका नाम लैंड यूज प्लानिंग बोर्ड था। बाद में हुडा और टाउन कंट्री प्लानिंग विभाग के माध्यम से यह काम होने लगा तो इस विभाग की जरूरत ही नहीं बची। अब सरकार ने उन्हें यहां स्थानांतरित किया है, लेकिन विभाग में कुछ नहीं है।