नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को निर्देश दिया कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य सचिव पद की तीन माह के अंदर समीक्षा करें।
एनजीटी ने सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वे प्रदूषण नियंत्रण बोर्डो में कोई भी राजनीतिक नियुक्ति करने से बचें।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एनजीटी की पीठ ने यह भी कहा कि बोर्ड सदस्य के कार्यकाल को भी किसी भी हाल में बाधित नहीं की जाए। इसका मतलब यह हुआ कि सदस्यों को उनका कार्यकाल पूरा करने दिया जाए और संबंधित राज्य की सरकारों के साथ-साथ इसे बदला नहीं जाए।
एनजीटी ने पिछले साल पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश दिया था कि वह सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों एवं पदाधिकारियों का उनके पदनाम, अनुभव और शैक्षिक योग्यता के साथ ब्यौरा दे।
ये निर्देश उत्तराखंड के याचिकाकर्ता राजेंद्र सिंह भंडारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया। भंडारी का कहना था कि शैक्षिक रूप से अयोग्य और जो इस पद के लायक नहीं हैं उन्हें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष, सदस्य सचिव और बोर्ड का सदस्य बनाया जा रहा है।