दिल्ली की सरकार का रास्ता यूपी से होकर जाता है। सभी राजनीतिक दल इस बात को ठीक से जानते और मानते हैं। 2014 और फिर 2019 के चुनाव में भाजपा के लिए यह बात 100 फीसदी सच हुई है।
पार्टी ठीक से जानती है कि यूपी में सरकार होने और न होने के क्या मायने हैं। पंचायत चुनाव के रिजल्ट और कोरोना के मिसमैनेजमेंट को लेकर मुखर विपक्ष में भाजपा आला-कमान की चिंता बढ़ा दी है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि भाजपा में सात से 15 जून के बीच बदलाव की आंधी आ सकती है।
मौसम आम का है। लखनऊ से लेकर जिलों तक भाजपा में क्या और कैसे होगा, यह चर्चाएं भी आम हैं। आरएसएस के साथ ही भाजपा के केन्द्रीय संगठन ने भी पाइपलाइन में चल रहे बदलावों को धरातल पर उतारने से पहले यूपी का माहौल भांपना शुरू कर दिया है।
सोमवार को लखनऊ पहुंचे केन्द्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने जिस तरह एक-एक करके सरकार के मंत्रियों की नब्ज टटोली, उससे बदलाव की चर्चाओं को और बल मिल गया है। संगठन मंत्री ने सबसे अलग बातचीत की। सूत्रों की मानें तो उन्होंने सबके मन की बात जानी। सरकार में क्या और कैसे चल रहा है, इसका फीडबैक लिया।
सरकार के अच्छे कामों पर हावी होंगे कुछ फैक्टर
पंचायत चुनाव और कोरोना से उपजी स्थितयों में कुछ ऐसे फैक्क्टर हैं जो सरकार के अच्छे कामों पर हावी हो गए हैं। चुनाव के वक्त ये फैक्टर जनता के दिमाग पर हावी न रहें इसके लिए भाजपा व संघ ने डैमेज कंट्रोल करना शुरू कर दिया है।
पहली लहर में शानदार काम, दूसरी की शुरुआत में चूके
कोरोना की पहली लहर में योगी सरकार का शानदार काम पूरे देश में सराहा गया। मगर, दूसरी लहर से निपटने की तैयारियों में शुरुआत में कुछ चूक हो गई। इस चूक की वजह से कोरोना को लेकर यूपी से तमाम बुरी और डराने वाली खबरें निकलीं। बाद में सरकार ने सब कंट्रोल कर लिया। मगर, सरकार चाहकर भी जनता से दिल और दिमाग से कोरोना से मिले दर्द को दूर नहीं कर पा रही है।
जातिगत फैक्टर सबसे अहम
प्रदेश की राजनीति में पिछड़ा वर्ग और पिछड़ा वर्ग में भी अति पिछड़ा वर्ग बहुत निर्णायक भूमिका निभाता है। 1991 में बीजेपी पहली बार जब सत्ता में आई थी तो कल्याण सिंह को ही चेहरा बनाकर आई थी जो कि अतिपिछड़ा वर्ग से हैं।
2017 के चुनाव में बीजेपी ने अतिपिछड़ा वर्ग को ही गोलबंद करने के लिए सांसद केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। उन्हें सीएम उम्मीदवार घोषित तो नहीं किया गया था लेकिन पेश कुछ उसी अंदाज में किया जा रहा था। बहुमत मिलने पर उन्हें उप मुख्यमंत्री तक तक ही सीमित कर दिया गया।
राजनीतिक गलियारों में लगातार यह किस्सागोई होती रही कि उन्हें ‘फ्री हैंड’ नहीं मिल रहा। चर्चा यह भी है कि वह अपने ही विभाग में खुलकर काम नहीं कर पाए। उन्हें हर छोटे-बड़े काम की अनुमति लेनी होती थी। अब अतिपिछड़ा वर्ग के बीच उनकी उपेक्षा के मुद्दे को हवा दी जा रही है। यहां तक कि अखिलेश यादव भी इस मुद्दे पर कई बार भाजपा पर हमलावर हो चुके हैं।
केशव को फिर मिल सकती है यूपी भाजपा की कमान
ऐसे में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि भाजपा अध्यक्ष से लेकर उप मुख्यमंत्री तक बदलाव हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को कोई नई जिम्मेदारी मिल सकती है, जबकि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर यूपी भाजपा की कमान मिल सकती है। भाजपा ने केशव प्रसाद मौर्य की अगुआई में 2017 का चुनाव लड़ा था। तब भाजपा ने रिकॉर्ड बहुमत से सरकार बनाई थी।
सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व एक बार फिर केशव प्रसाद मौर्य के चेहरे पर दांव लगाना चाह रहा है। केशव प्रसाद मौर्य के नाम पर नेतृत्व में अब तक आम सहमति बन चुकी है। कभी भी इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।
मुख्यमंत्री योगी के साथ रह सकते हैं एक उपमुख्यमंत्री
सूत्रों की मानें तो यूपी में योगी आदित्यनाथ के साथ एक उपमुख्यमंत्री अरविंद शर्मा रह सकते हैं। अरविंद शर्मा पीएम मोदी के करीबी रहे हैं और गुजरात कैडर के रिटायर्ड आईएएस हैं।
माना जा रहा है कि शर्मा को गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गृह मंत्री के तौर पर शर्मा को इसलिए लगाया जाएगा, ताकि केंद्रीय नेतृत्व की मंशा के अनुरूप धरातल पर शत-प्रतिशत काम पहुंचाया जा सके।
आज संगठन के लोगों का मन टटोलेंगे बीएल संतोष
केन्द्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष मंगलवार को भाजपा संगठन का मन टटोलेंगे। प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री संगठन समेत तमाम दिग्गजों से उन्होंने आज भी बात की। बताया जा रहा है कि मंगलवार को यह सिलसिला आगे बढ़ेगा।
सात से 10 दिन में देखने को मिल सकता है बदलाव
भाजपा और संघ से जुड़े दिग्गजों का कहना है कि अगले सात से 10 दिन में यूपी भाजपा और सरकार में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। उप मुख्यमंत्री पद पर अरविंद शर्मा की ताजपोशी के साथ ही कुछ मंत्रियों की छुट्टी करके नए चेहरों मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है।
बदलाव होगा तो पता चलेगा, उससे पहले कह पाना मुश्किल
भाजपा से जुड़े दिग्ग्जों का कहना है कि भाजपा हाईकमान से बदलाव तय होने के बाद ही कुछ पता चल पाएगा। तब तक केवल कयास ही लगाए जा सकते हैं। बदलाव की चर्चा है, उम्मीद भी है, वास्तव में क्या बदलेगा, यह तभी साफ होगा जब केन्द्रीय नेतृत्व अपने पत्ते खोलेगा।