नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए राजनीति तेज हो गई है। 6महीनें बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में टिकट के लिए अभी से बिसात बिछने शुरू हो गई है। बात दे कि कांग्रेस में टिकट के लिए अभी से गहमागहमी शुरू हो गई है। दावेदारों ने अभी से जोर अजमाइश शुरू कर दी है। हालांकि अभी आलाकमान ने ना तो स्क्रीनिंग कमेटी बनाई और ना ही चुनाव अभियान समिति बनाई है। अगले माह में स्क्रीनिंग कमेटी की घोषणा होने की उम्मीद है। इसके बाद टिकट चयन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
टिकट के लिए जोरअजमाइश शुरू
6महीनें बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जहां एक तरफ कांग्रेसी नेता टिकट के लिए जोरअजमाइश में जुटे है। तो वहीं दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता की ओर से राजस्थान में सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग की है। बता दे कि कांग्रेस के पार्टी के वरिष्ठ विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष विश्वेन्द्र सिंह ने एक बार फिर सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग की है। भरतपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेन्द्र सिंह सिंह ने कहा, बिना दूल्हे कैसी बारात। बारात तो दूल्हे के पीछे चलती है।
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सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग
बता दे कि विश्वेन्द्र सिंह ने कांग्रेस आलाकमान से किसी एक नेता को सीएम कैंडिडेट घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और कर्नाटक में सिद्धारमैया को सीएम कैंडिडेट घोषित कर चुनाव लड़ा गया था, उसी तरह राजस्थान में भी चुनाव से पहले सीएम कैंडिडेट घोषित करना चाहिए। ऐसा नहीं होने पर कार्यकर्ता और मतदाताओं में असमंजस रहेगा, जिसका लाभ भाजपा को मिल सकता है।
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उल्लेखनीय है कि विश्वेन्द्र सिंह इससे पहले एक बार वरिष्ठ नेताओं की बैठक में पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट के समर्थन में हाथ खड़े करवा चुके है। इस घटना के बाद कुछ समय के लिए पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों के बीच खींचतान बढ़ गई थी, हालांकि बाद में आलाकमान के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ था।
मेरा बूथ,मेरा गौरव
चुनाव से पूर्व पार्टी कार्यकर्ताओं को सक्रिय और पोलिंग बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए चलाए जा रहे ‘मेरा बूथ,मेरा गौरव‘ अभियान के तहत होने वाले सम्मेलनों में टिकटार्थी शक्ति प्रदर्शन में जुटे है। प्रत्येक विधानसभा सीट पर औसतन 5 से 8 नेता अपनी दावेदारी जता रहे है। फिलहाल टिकटार्थी हर बड़े नेता को साधकर चलने की रणनीति पर चल रहे है।
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सीएम पद के लिए भी फंसा दांव
इनका मानना है कि पता नहीं किस वक्त पर कौनसा नेता काम आ जाए। टिकट के दावेदार किसी एक नेता के भरोसे नहीं है। इसलिए वे हर उस नेता के जो टिकट दिलवाने और कटवाने की क्षमता रखता है,उसके हाजिरी अवश्य लगा रहे है। बता दे कि राजस्थान में सीएम पद के लिए भी दांव फंसा हुआ है। हाल ही में अशोक गहलतो की ओर से एक बड़ा बयान दिया गया था
पद की लालसा नहीं रखनी चाहिए
जिसमें उन्होंने कहा था छोटों को पद की लालसा नहीं रखनी चाहिए अशोक गहलोतके इस बयान से साफ नजर आ रहा था कि अशोक ने सचिन पायलट की ओर इशारा करते हुए कहा था जिसके बाद से राजस्थान में कांग्रेस में दो खेमें नजर आ रहे हैं एक खेमा सचिन पायलट का तो दूसरा खेमा अशोक गहलोत का अब देखना ये होगा कि क्या कांग्रेस में सीएम पद का चेहरा घोषित करती है या नहीं।