मुबंई। देश में आए दिन किसी न किसी मुद्दे को लेकर विवाद चलता ही रहता है। इसके साथ ही ज्यादातर मुद्दे अब राजनीतिक पार्टियों को बाॅलीवुड से मिल रहे हैं। जब भी बाॅलीवुड की तरफ से कोई फिल्म या फिर वेबसीरीज को लेकर विवाद शुरू हो जाता है। इन विवादों का कारण उनमें फिल्माया गया कोई आपत्तिजनक दृश्य होता है। ऐसा ही कुछ एक बार फिर देखने को मिल रहा है। हाल ही में बाॅलीवुड बेवसीरीज ‘तांडव’ रीलीज हुई थी। जिसकों लेकर बीजेपी नेताओं ने बेवसीरीज को बैन करने की मांग की है। उनका आरोप है इसमें बवेसीरीज में देवी-देवताओं को अपमान हुआ है। जिसके चलते आज शिवसेना ने बीजेपी पर हमला बोला है। शिवसेना ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब हास्य-व्यंग्य का विषय बन गई है।
हिंदू देवी-देवताओं अपमानजनक संवाद शिवसेना ने कभी भी बर्दाश्त नहीं किए-
बता दें कि राजनीतिक पार्टियों में आए दिन हलचलें तेज होती रहती हैं। जिसके चलते राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर जुबानी हमला करने का मौका नहीं छोड़ती है। इसी बीच तब बीजेपी ने बेवसीरीज ‘तांडव’ को लेकर राजनीति में सियासत तेज कर दी है। जिसके चलते शिवसेना ने बीजेपी पर जमकर हमला किया है। शिवसेना ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी अब हास्य-व्यंग्य का विषय बन गई है। शिवसेना ने कहा है कि पार्टी रोज नए स्वांग-ढोंग रचकर जनता का मनोरंजन करने का प्रयास करती है, लेकिन उनके प्रपंची जनता को पसंद नहीं आते। इसके साथ ही एमएफ हुसैन का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि हिंदू देवी-देवताओं के संदर्भ में किसी भी प्रकार के अपमानजनक संवाद शिवसेना ने कभी भी बर्दाश्त नहीं किए हैं। बता दें कि एम एफ हुसैन महान चित्रकार थे, लेकिन उन्होंने हिंदू देवताओं के चित्र जिस तरह से बनाए, उस पर शिवसेना ने आपत्ति जताई थी। विवाद इतना बढ़ा कि एमएफ हुसैन को देश छोड़कर जाना पड़ा था।
सीरीज मौजूदा राजनीति की वास्तविकता पर आधारित- शिवसेना
इसके साथ ही शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी ने जो ‘तांडव’ शुरू किया है। उसमें प्रामाणिकता का अंश कितना है, उस पर संदेह है। सामना ने लिखा है कि जो तांडव के विरोध में खड़ी है। वहीं बीजेपी भारत माता का अपमान करनेवाले उस अर्णब गोस्वामी के संबंध में मुंह में उंगली दबाकर चुप क्यों बैठी है। इसके साथ ही शिवसेना ने कहा है कि ‘तांडव’ नाम की एक वेब सीरीज हाल ही में प्रदर्शित हुई है। इसकि साथ ही कहा कि यह सीरीज मौजूदा राजनीति की वास्तविकता पर आधारित है। दिल्ली की राजनीति, यूनिवर्सिटी में सियासी खींचतान, इस तरह के कुछ विषय इसमें दिखाए गए हैं।