नई दिल्ली। किसान आंदोलन को आज 56वां दिन है। किसानों द्वारा 26 जनवरी को रैली निकाले जाने को लेकर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से साफ इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रैली निकलेगी या नहीं इसका फैसला पुलिस करे, पुलिस को आदेश जारी करने का अधिकार है। वहीं दूसरी तरफ राकेश टिकेश ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि टैक्टर रैली को कोई नहीं रोक सकता। आपको बता दें कि किसान 26 जनवरी को दिल्ली में टैक्टर रैली निकालने का ऐलान कर चुके है लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में कौन आयगा और कौन नहीं आएगा इसका पुरा जिम्मा दिल्ली पुलिस पर है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने पहले ही यह गेंद कोर्ट के पाले में फैंक दी थी वहीं कोर्ट ने पहली सुनवाई मंे ही साफ कर दिया था कि यह कानून व्यवस्था का मामला है दिल्ली में कौन आएगा और कौन नहीं इसका फैसला दिल्ली पुलिस करेगी। इसी के साथ आज फिर रैली के मसले पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने साफ कर दिया कि यह फैसला करना पुलिस का काम है और पुलिस को अधिकार हैं वो निर्देश दे सकती है।
इसी के साथ बुद्वार को सुप्रीम कोर्ट में कमेटी के विवाद को लेकर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि कृषि कानून पर गठित कमेटी पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। गोरतलब है कि किसान गठित कमेटी से खुश नहीं है। उनका कहना है कि कमेटी में वही लोग शामिल है जो कानून के समर्थक हैं कमेटी पर हुए बवाल के बीच भुपिंदर सिंह मान ने खुद को कमेटी से अलग कर लिया और किसानों के समर्थन में आ गए। राकेश टिकेत का कहना है कि वो कमेटी के सामने नहीं जाएगे। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमने समिति को किसानों को सुनने और हमारे पास आकर रिपोर्ट फाइल करने की शक्ति दी है। इसमें पक्षपात की क्या बात है? सीजेआई ने कहा कि कोर्ट पर कलंक मत लगाइए।
जब सीजेआई ने कहा कि कमेटी को निर्णय लेने के अधिकार नहीं दिए गए हैं तो वकील हरीश साल्वे ने कहा कि, अदालत हमेशा से ही कमेटी का सहारा लेती रही है। अगर अगली बार कुछ ऐसा हुआ या कोर्ट पर कोई आक्षेप लगा तो हम अवमानना नोटिस लाएंगे।
9वें दौर की वार्ता से हल न निकले के बाद अब किसान और सरकार के बीच दसवें दौर की वार्ता होनी है। वर्ता से पहले ही किसान नाराज है उनका कहना है कि सरकार कोई हल नहीं निकाल रही और फिर एक बार आगे की तारीख दे देगी।