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हरियाणा समेत कई जिलों में मनाया गया पुलिस शहीदी दिवस, शहीदों के परिवारों को किया गया सम्मानित

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हरियाणा के पलवल जिला पुलिस लाइन में पुलिस शहीदी दिवस मनाया गया। ड्यूटी के दौरान अपनी शाहदत देने वाले पुलिस के शहीद जवानों को याद किया गया और शहीद स्मारक पर फूल माला चढ़ा कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक की तरफ से शहीदों के परिवारों को सम्मानित भी किया गया। जिला पुलिस अधीक्षक दीपक गहलावत ने कहा कि 21 अक्टूबर के दिन को बड़े ही गौरव के साथ मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन पुलिस के उन शहीद जवानों को याद किया जाता जो देश हित और जनता की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर वीरगति को प्राप्त हुए। हरियाणा के साथ-साथ यूपी में भी पुलिस शहीद दिवस मनाया गया और शहीद पुलिस वालों तो श्रद्धांजलि दी गई।

उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर वर्ष 1959 को पूर्वोतर लद्दाख में हॉट स्प्रिंगस से लैनाक लॉ के रास्ते भारतीय अभियान की अगली आवाजाही की तैयारी के लिए सीआरपीएफ की तीन पार्टियां बनाई गई। जिनमें दो पार्टियों के सदस्य दोपहर के समय तक हॉट स्प्रिंगस में वापिस लौट गए थे, लेकिन तीसरी पार्टी के सदस्य वापिस नहीं आए। जिनकी तलाशी के लिए उपलब्ध पुलिस कर्मियों को तैनात किया। जिनमें से पुलिस कर्मियों की एक पार्टी उप निरीक्षक कर्मसिंह के नेतृत्व में घोड़ों पर सवार होकर निकले व बाकी पुलिस कर्मी अलग-अलग पार्टियों में पैदल निकल पड़े थे।

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इस दौरान चीनी सेना को एक पहाड़ी पर देखा गया। उसी दौरान चीनी सेना ने उप निरीक्षक कर्मसिंह के नेतृत्व में चल रही पार्टी पर फायरिंग कर व ग्रेनेड फेंक दिए थे। जिसमें दस पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे व सात घायल हुए। घायल पुलिस कर्मियों को चीनी सेना ने बंदी बना लिया था। शहीद हुए दस पुलिस कर्मियों के शवों को घटना के तीन सप्ताह बाद चीनी सेना द्वारा 13 नवम्बर 1959 को वापिस भेजा गया। जिनका हॉट स्प्रिगंस पर पूरे पुलिस सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

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उसके बाद जनवरी 1960 में राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के पुलिस महानिरीक्षक की आयोजित वार्षिक सम्मेलन में यह फैसला लिया गया कि 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख में मारे गए इन वीर पुलिस कर्मियों को याद रखने के लिए पूरे भारत वर्ष में प्रत्येक वर्ष सभी पुलिस लाइन में पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पलवल जिले के गांव गुदराना निवासी ईएचसी बाबूराम, उटावड़ निवासी सिपाही उमर मोहम्मद व भिडूकी गांव निवासी सिपाही ब्रजभूषण भी अपने कर्तव्तयों का पालन करते हुए देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देते हुए शहीद हुए।

ईएचसी बाबूराम 9 दिसंबर वर्ष 2009 में गुरुग्राम में तैनात थे उसी समय कंट्रोल रूम से मिली सूचना के आधार पर वह खांडसा मार्ग पर बोलेरो गाड़ी को रूकवाने का प्रयास कर रहे थे उसी दौरान बोलेरो कार चालक ने बाबूराम को सीधी टक्कर मार दी। जिससे मौके पर बाबूराम शहीद हो गए। इसी प्रकार सिपाही उमर मोहम्मद 8 फरवरी वर्ष 2008 को गुरुग्राम में तैनात थे और राजस्थान के भरतपुर में कुख्यात अपराधियों की धरपकड़ करने के दौरान व अपराधियों की गोली का शिकार हुए और वीरगति को प्राप्त हो गए। इसी प्रकार सिपाही ब्रजभूषण भी 13 फरवरी वर्ष 2007 में दिल्ली के थाना न्यू फ्रेंडस कालोनी में ड्यूटी के दौरान लूटेरों से हुई मुठभेड में वीरगति को प्रापत् हुए थे।

तीनों शहीद पुलिस कर्मियों को उनके बलिदान व अददम्य सहास के लिए देश के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है। इसी अवसर पर जिला पुलिस अधीक्षक ने शहीदों के परिवारों को सम्मानित करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस प्रशासन हर समय उनके साथ है। वहीं शहीद सिपाही उमर मोहम्मद के पिता ईदरिस ने कहा कि आज उन्हें अपने बेटे के कुर्बानी बिल्कुल भी गम नहीं बल्कि गर्भ है कि उसकी जान देश की रक्षा के काम आई। हरियाणा के साथ-सआथ यूपी में भी पुलिस शहीद दिवस मनाया गया।

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