Jyotiba Phule Jayanti: महात्मा ज्योतिबा फुले की आज जयंती है। देश की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना में ज्योतिबा फुले का महत्वपूर्ण योगदान है। महान समाजसेवी एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर दिग्गजों ने नमन किया है।
पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘महान समाजसेवी, विचारक, दार्शनिक एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। वे जीवनपर्यंत महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध रहे। समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
महान समाजसेवी, विचारक, दार्शनिक एवं लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। वे जीवनपर्यंत महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध रहे। समाज सुधार के प्रति उनकी निष्ठा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
— Narendra Modi (@narendramodi) April 11, 2021
इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि अपर्ति की है। मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “अद्भुत विचारक, प्रखर समाजसेवी, वंचितों, शोषितों व महिलाओं के सशक्तिकरण व उन्नयन हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पण करने वाले ‘युग पुरुष’ महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!”
अद्भुत विचारक, प्रखर समाजसेवी, वंचितों, शोषितों व महिलाओं के सशक्तिकरण व उन्नयन हेतु अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पण करने वाले ‘युग पुरुष’ महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि!
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 10, 2022
11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था फुले का जन्म
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था। उन्हें जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए और समाज के उत्थान के लिए जाना जाता है। 1848 में ज्योतिबा फुले अपने एक ब्राह्मण मित्र के विवाह में सम्मलित हुए थे और वहां दूल्हे के परिजनों ने जाति को लेकर उनका अपमान किया था। इस घटना ने ज्योतिबा फुले पर काफी प्रभाव डाला।
ज्योतिबा फुले ने अछूतों और लड़कियों की पढ़ाई के लिए की एक स्कूल की शुरुआत
समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए ज्योतिबा फुले ने अछूतों और लड़कियों की पढ़ाई के लिए एक स्कूल की शुरुआत की। सबसे पहले उन्होंने अपनी पत्नी सावित्रीबाई पढ़ना-लिखना सिखाया। इस तरह 1848 में सावित्रीबाई पहली महिला शिक्षिका बनीं और लोगों तक लड़कियों और अछूतों की शिक्षा के महत्व को पहुंचाया।
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