भारत का कहना है कि वह साल 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को नेट जीरो करने के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। हालाँकि, ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर शिखर सम्मेलन में देशों से ये उम्मीद थी कि वह 2050 में इस लक्ष्य को पूरा कर लें। लेकिन सम्मेलन में फिर भी पीएम मोदी की बात को बड़ा माना जा रा है। क्योंकि भारत ने पहली बार नेट जीरो के लक्ष्य को लेकर निश्चित बात कही है।
बता दें कि नेट ज़ीरो का मतलब कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को पूरी तरह से ख़त्म कर देना होता है। जिससे कि जमीन के वायुमंडल को गर्म करने वाली ग्रीनहाउस गैसों में इस वजह से और वृद्धि नहीं हो पाएगी। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जन देश है। उसके बाद चीन का नंबर आता है और फिर अमेरिका, वहीं यूरोपीय संघ को साथ लाने पर भारत की गिनती चौथे नंबर पर आने लगी है। लेकिन जनसंख्या के हिसाब से भारत का हर व्यक्ति उत्सर्जन दुनिया के अमीर देशों के मुक़ाबले काफ़ी कम है।
वहीं साल 2019 में भारत ने हर व्यक्ति के हिसाब से 1.9 टन उत्सर्जन किया था। वहीं इस साल अमेरिका के लिए ये आँकड़ा 15.5 टन और रूस के लिए 12.5 टन था। वहीं चीन ने इस लक्ष्य को साल 2060 में पूरा करने का एलान किया हुआ है। वहीं अमेरिका और यूरोपीय संघ का कहना है कि वह इस लक्ष्य को 2050 तक हासिल कर लेंगे। दो हफ्ते के सम्मेलन के पहले दिन जिन नेताओं ने भाषण दिए उनमें मेज़बान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस शामिल थे।
राष्ट्रपति बाइडन का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में हर एक दिन की देरी से इसके असर को रोकने की क़ीमत बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि हममें से कोई भी उन बुरे हालातों से अपने आपको नहीं बचा पाएगा, अगर हम इस मौके का फायदा नहीं उठा सके। हालाँकि, उन्होंने साथ ही प्रतिनिधियों से कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने की लड़ाई विश्व के लिए अभूतपूर्व अवसर भी लेकर आया है।
वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनिओ गुटेरेस ने कहा कि जीवाश्म ईंधन की हमारी लत मानवता को विनाश की ओर धकेल रही है। उन्होंने कहा कि, “अब या तो हम इसे रोक दें या ये हमें रोक दे। अब ये कहने का वक़्त आ गया है कि अब बहुत हो चुका है, खुद को कार्बन से मारने का दौर अब बहुत चल गया, प्रकृति को शौचालय की तरह इस्तेमाल करना बहुत हुआ, बहुत हुआ गहरे और गहरे माइनिंग एवं ड्रिलिंग करते जाना, हम अपनी ही कब्रें खोद रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण गुटेरेस के भाषण के बाद दिया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले रहे हैं।