- भारत खबर || नई दिल्ली
PM Modi UNGA Speech : संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना संबोधन देते हुए अध्यक्ष और विश्व समुदाय को कहा है कि भारत हमेशा आतंकवाद के खिलाफ और मानवीय मूल्यों के पक्ष में खड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते की अनेकों युद्ध हुए, कितने आतंकी हमलों ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया। खून की नदियां बहती रहीं। इन हमलों में जो मारे गए वह हमारी आपकी तरह इंसान ही थे। मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। पहले के समय में और आज भी संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त हैं?
PM Modi UNGA Speech में मोदी ने कहा, कोरोना से लड़ने में संयुक्त राष्ट्र कहां खड़ा है?
8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोनावायरस महामारी से संघर्ष कर रहा है, इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहां है? एक प्रभावशाली रिस्पॉन्स कहां है? अध्यक्ष महोदय संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया में बदलाव की जरूरत है, बदलाव आज के समय की मांग है।
भारत पर 130 करोड़ से ज्यादा लोगों का इस वैश्विक संस्था पर अटूट विश्वास है, वह आपको बहुत कम देशों में मिलेगा। लेकिन यह भी उतनी ही बड़ी सच्चाई है कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म को लेकर जो कोशिश चल रहा है उसके पूरा होने का बहुत लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। आज भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या यह प्रोसेस कभी एक लॉजिकल एंड तक पहुंच पाएगा?
भारत संयुक्त राष्ट्र की डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से कब तक रहेगा बाहर?
आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र (PM Modi UNGA Speech) के डिसीजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा? ऐसा देश जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश जहां विश्व की 18% से ज्यादा जनसंख्या रहती है। एक ऐसा देश जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, अनेकों विचारधारायें हैं, जिस देश ने सैकड़ों वर्षो तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और सैकड़ों वर्षो की गुलामी दोनों को जिया है।
जब हम मजबूर थे तो दुनिया को कभी सताया नहीं, जब हम मजबूर थे तो दुनिया पर कभी बोझ नहीं बने। जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है। उस देश आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा? अध्यक्ष महोदय संयुक्त राष्ट्र जिन आदर्शों के साथ खत्म हुआ था और भारत के मूल दार्शनिक सोच बहुत मिलती-जुलती है, अलग नहीं है।
वसुधैव कुटुंबकम ही भारत की असली पहचान है
संयुक्त राष्ट्र इसी हाल में यह शब्द अनेकों बार गूंजा है वसुधैव कुटुंबकम। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्वकल्याण को ही प्राथमिकता दी है। भारत वो देश हैं जिसने शांति की स्थापना के लिए लगभग 50 पीस-किपिंग मिसंन में अपने जाबाज सैनिक भेजें। भारत देश है जिसमें शांति की स्थापना में सबसे ज्यादा अपने सैनिकों को खोया है। आज प्रत्येक भारतवासी संयुक्त राष्ट्र में अपने योगदान को देखते हुये संयुक्त राष्ट्र में अपनी व्यापक भूमिका भी देख रहा है?
PM Modi UNGA Speech में नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2 अक्टूबर को इंटरनेशनल डे आफ नॉनवॉयलेंस और 21 जून इंटरनेशनल डे आफ योगा की पहल भारत ने ही आयोजित की। इंटरनेशनल सोलर एलाइंस भारत के ही प्रयास है। भारत में हमेशा पूरी मानव जाति के हित के बारे में सोचा है। भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह किसी दूसरे के खिलाफ नहीं होती है। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है तो उसके पीछे किसी का साथ देना ही होता है। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते।
भारतीय फार्मा इंडस्ट्री 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजी है
इस मुश्किल समय में भी भारतीय फार्मा इंडस्ट्री 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजी है। विश्व के सबसे बड़े उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और वैक्सीन डिलीवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। हम भारत में और अपने पड़ोस में फेस-3 क्लीनिकल ट्रायल की तरफ बढ़ रहे हैं। वैक्सीन की डिलीवरी के लिए पूल चेन और स्टोरेज ऐसी क्षमता बढ़ाने में भी भारत सभी की मदद करेगा।
जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर भी अपना दायित्व निभाएगा
अगले वर्ष जनवरी से भारत सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य के तौर पर भी अपना दायित्व निभाएगा। दुनिया के अनेक देशों ने भारत पर जो विश्वास जताया है मैं उसके लिए सभी साथी देशों का आभार प्रकट करता हूं। भारत की आवाज हमेशा शांति सुरक्षा और समृद्धि के लिए उठेगी। भारत की आवाज मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन, आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, money-laundering के खिलाफ देगी। भारत की सांस्कृतिक धरोहर व संस्कार हजारों वर्षों के अनुभव हमेशा विकासशील देशों को ताकत देंगे। भारत के अनुभव भारत की उतार-चढ़ाव से भरी विकास यात्रा, विश्व कल्याण के मार्ग को मजबूत करेगी।