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पीएम मोदी ने 48वीं बार की मन की बात, नौसेना अधिकारी अभिलाष टोमी का किया जिक्र

pm पीएम मोदी ने 48वीं बार की मन की बात, नौसेना अधिकारी अभिलाष टोमी का किया जिक्र

नई दिल्ली : देश की जनता से 48वीं बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात की। भारतीय नौसेना के अधिकारी अभिलाष टोमी के बारे में बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अभिलाष अपने जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे थे। पूरा देश चिंतित था कि टोमी को कैसे बचाया जाए। आपको पता है अभिलाष टोमी एक बहुत साहसी-वीर अधिकारी हैं। वे अकेले कोई भी आधुनिक तकनीक के बिना एक छोटी सी नाव ले कर, विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय थे।

pm modi पीएम मोदी ने 48वीं बार की मन की बात, नौसेना अधिकारी अभिलाष टोमी का किया जिक्र

समुंदर के बीच अनेक दिनों तक जूझता रहा

पिछले 80 दिनों से वह दक्षिण हिन्द महासागर में गोल्डन ग्लोब रेस में भाग लेने समुंदर में अपनी गति को बनाये रखते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन भयानक समुद्री तूफ़ान ने उनके लिए मुसीबत पैदा की लेकिन भारत के नौसेना का यह वीर समुंदर के बीच अनेक दिनों तक जूझता रहा, जंग करता रहा।

भारतीय वायुसेना की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि 8 अक्टूबर को हम ‘वायुसेना दिवस’ मनाते हैं। 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से बढ़ते हुए हमारी वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली वायुसेना में शामिल हो चुकी है। यह अपने आप में एक यादगार यात्रा है।

युद्ध में वायुसेना की भूमिका पर बोले मोदी

युद्ध में वायुसेना की भूमिका पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता की लड़ाई कौन नहीं जानता है। 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्जे से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है। टाइगर हिल में दुश्मनों के ठिकानों में रात-दिन बमबारी कर वायुसेना ने उन्हें धूल चटा दी।

मोदी ने बापू को किया याद

स्वतंत्रता संग्राम में गांधी के योगदान को याद करते हुए पीएम ने कहा, ‘महात्मा गांधी के आह्वान पर समाज के हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों ने स्वयं को समर्पित कर दिया। बापू ने हम सब को एक प्रेरणादायक मंत्र दिया था जिसे अक्सर, गांधी जी का तलिस्मान के नाम से जाना जाता है।’

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उसमें गांधी जी ने कहा था, ‘मैं आपको एक जंतर देता हूं, जब भी तुम्हें संदेह हो या तुम्हारा अहम् तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी आजमाओ, जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा। क्या उससे, उसे कुछ लाभ पहुंचेगा! क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर कुछ काबू रख सकेगा! यानी क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज मिल सकेगा जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त है। तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम् समाप्त हो रहा है।’

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