भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बदस्तूर जारी है। ऐसे तनावपूर्ण माहौल के चलते जर्मनी के हैमबर्ग में सात जुलाई को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात की संभावना नहीं दिख रही। मोदी सरकार से जुड़े शीर्ष स्तरीय सूत्रों ने साफ किया है कि भारत सरकार ने जी-20 सम्मेलन से इतर दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय वार्ता का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा है।
इससे पहले बीजिंग से प्राप्त रिपोर्ट्स में बताया गया था कि चीन ने हैमबर्ग में भारत और चीन के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय वार्ता रद्द कर दी है। जानकारी के मुताबिक, चीन ने वार्ता रद्द करते हुए कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए यह मुलाकात संभव नहीं है। हालांकि भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों में किसी ने भी द्विपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव नहीं रखा था और ऐसे में इसे रद्द किए जाने का सवाल ही नहीं उठता है। विदित हो कि जर्मनी के हैमबर्ग में जी- 20 सम्मेलन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी वहां इजरायल से पहुंच रहे हैं। दोनों देशों के नेताओं के बीच पिछले अन्य सम्मेलनों की तरह संक्षिप्त मुलाकात तय थी। सिक्किम सेक्टर के डोकलाम में भारतीय सेना के आक्रामक रवैये से चीन पूरी तरह चिढ़ा हुआ है। वहां भारतीय सेना ने चीन की ओर से बनाई जा रही सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच लगातार बयानबाजी हो रही है जिसके कारण तनाव का माहौल बना हुआ है।
आपको बता दें कि चीनी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ की रिपोर्ट का कहना है कि, सैन्य अभ्यास में ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’(पीएलए) के सबसे उन्नत युद्धक टैंक 96 बी भी शामिल था। हालांकि रिपोर्ट में इसका खुलासा नहीं कि गया है कि सैन्य अभ्यास कब हुआ। लेकिन अखबार ने गुरुवार को इस संबंध में ‘मिलिट्री ताकत की गलतफहमी न पाले भारत’ शीर्षक से एक खबर छापी है। रिपोर्ट के अनुसार, पीएलए के अवकाश प्राप्त मेजर जनरल झू हेपिंग ने कहा है कि भारत डोकलाम में सड़क निर्माण को नहीं रोक पाएगा। मेजर जनरल झू ने आगे कहा, ‘‘भारत का हस्तक्षेप और चीन को लेकर उसका रुझान को दर्शाता है। यह एक बहुत ही छोटा और संकरा इलाका है, जहां बड़ी संख्या में सैनिकों को पूरी तरह तैनात भी नहीं किया जा सकता।”
जर्मनी के हैम्बर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई है। एक समाचार एजेंसी के अनुसार, हैम्बर्ग पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी काले लिबास में मुखौटे लगाकर प्रदर्शन कर रहे थे। जब उन्हें मुखौटे हटाने को कहा गया तो उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया जिससे उन्हें कार्रवाई करनी पड़ी। पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछारों और मिर्ची पाउडर का छिड़काव किया। वहीं प्रदर्शकारियों ने जवाब में उनपर बोतलें, पत्थर फेंका और एक वाहन में आग लगा दी। हैम्बर्ग शहर के मुख्य इलाके में सुरक्षा घेरा बनाया रखने के लिए 25 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। ताकि प्रदर्शनकारियों को सम्मेलन स्थल पर जाने से रोका जा सके।