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पीएम मोदी को दुनिया भर के 600 से ज्यादा शिक्षाविदों और विद्वानों

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नई दिल्ली। दुनिया भर के 600 से अधिक शिक्षाविदों और विद्वानों ने पीएम मोदी को खुला पत्र लिखकर कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों पर अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए उन पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया है। यह खत ऐसे दिन आया है जब कठुआ और सूरत में नाबालिग बच्चियों के बलात्कार और हत्या और उन्नाव में एक लड़की से बलात्कार को लेकर देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार (21 अप्रैल) को ही 12 वर्ष और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाये जाने पर मृत्युदंड सहित कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी।

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PM MODI

हार्वर्ड एवं कोलंबिया युनिवर्सिटी के शिक्षाविदों के हस्ताक्षर

बता दें कि प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में कहा गया है कि वे कठुआ और उन्नाव एवं उनके बाद की घटनाओं पर अपने गहरे गुस्से और पीड़ा का इजहार करना चाहते हैं। पत्र में लिखा गया कि हमने देखा है कि देश में बने गंभीर हालत पर और सत्तारूढ़ों के हिंसा से जुड़ाव के निर्विवाद संबंधों को लेकर आपने लंबी चुप्पी साध रखी है। इस पत्र पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड एवं कोलंबिया विश्वविद्यालयों एवं विभिन्न आईआईटी के शिक्षाविदों और विद्वानों ने हस्ताक्षर किए हैं।

वहीं कठुआ के SSP सुलेमान चौधरी का तबादला, श्रीधर पाटिल को मिली नई जिम्मेदारी कठुआ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एम सुलेमान चौधरी को शनिवार (21 अप्रैल) को पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। जिले में जनवरी में आठ वर्षीय बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले की जांच में शिथिलता के कारण वह खबरों में थे। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार श्रीधर पाटिल को नया एसएसपी बनाया गया है। वह दक्षिण कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित कुलगाम जिले के पुलिस कप्तान के पद पर तैनात थे।

साथ ही आदेश में कहा गया है कि जम्मू – कश्मीर के 2007 बैच के आईपीएस अधिकारी चौधरी को आपराधिक खुफिया और सतर्कता विभाग में भेज दिया गया है। हालांकि जम्मू – कश्मीर पुलिस का कहना है कि सामान्य तौर पर उनका तबादला किया गया है, लेकिन कठुआ मामले में जम्मू-कश्मीर की अपराध शाखा द्वारा आरोपपत्र दाखिल किये जाने के दो सप्ताह बाद उनका स्थानांतरण किया गया है।

पीएम मोदी ने की थी घटना की निंदा

गौरतलब है कि कठुआ की आठ साल की बच्ची का 10 जनवरी को अपहरण कर लिया गया था। बच्ची को एक मंदिर में बंधक बनाकर रखा गया। इस दौरान उसे भूखा रखा गया और नशीली दवाइयां दी गई और बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया। इसके बाद बच्ची की हत्या कर दी गई। बच्ची का शव 17 जनवरी को रसाना गांव के जंगल से मिला था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 13 अप्रैल को इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में हेड कांस्टेबल, एक सब-इंस्पेक्टर, दो विशेष पुलिस अधिकारी सहित आठ लोग गिरफ्तार किए गए और उनमें से सात के खिलाफ आरोप दायर किया गया है।

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