पीएम मोदी ने बाइडेन को दी जीत की बधाई, जानें अमेरिका का राष्ट्रपति बदलने से क्या पड़ेगा भारत पर असर

नई दिल्ली। अमेरिका में चल रहे राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दोनों उम्मीदवारों में जमकर जुबानी हमले बोले जा रहे थे। लेकिन अब सब बंद हो गए हैए क्योंकि अमेरिका चुनाव के नतीजे आ गए है। जिसमें अमेरिका की जनता ने जो बाइडेन को अपना राष्ट्रपति बनाया है। वहीं कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनी हैं। इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों को एक साधारण नोट के माध्यम से जीतने की बधाई दी है। अमेरिका में कोई भी राष्ट्रपति हो उसका भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबेधों के विकास पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। सत्ता में परिवर्तन आने के बावजूद भी यह सतत रहने वाली प्रक्रिया है। जो बाइडेन-कमला हैरिस की जोड़ी की जीत के साथ भारत-अमेरका रिश्तों में कई मोर्चो पर निरंतरता जारी रहना निश्चित है।
बाइडेन सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करेंगे-
बता दें कि सकारात्मक नोट पर शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाइडेन-हैरिस की “शानदार” जीत पर बधाई के ट्वीट किए। बाइडेन के लिए उन्होंने लिखा- बधाई, आपकी शानदार जीत पर! उपराष्ट्रपति रहते आपका भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने के लिए दिया योगदान अहम और मूल्यवान है। मैं आपके साथ एक बार फिर घनिष्ठता के साथ काम करने के लिए आगे देख रहा हूं, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों को महान ऊंचाई तक ले जाया जा सके। कमला हैरिस के लिए बधाई वाले ट्वीट में पीएम मोदी ने कहा- हार्दिक बधाई! आपकी सफलता पथप्रवर्तक है, अत्यंत गौरव का विषय है ना आपकी चिट्टीस के लिए बल्कि सभी भारतीय-अमेरिकियों के लिए। मुझे विश्वास है कि आपके समर्थन और नेतृत्व से जीवंत भारत-अमेरिका संबंध और भी मजबूत बनेंगे। दोनों पक्ष विभिन्न मोर्चों पर, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक मोर्चे पर निरंतरता और मजबूती होते हुए देखेंगे। ओबामा प्रशासन के दौरान ‘एशिया पैसिफिक’ पर एक विज़न डॉक्यूमेंट के रूप में एक पहल ने आकार लिया, जो कि इस क्षेत्र में चीनी चुनौतियों का सामना करने के लिए है। वुडरो विल्सन सेंटर के सीनियर एसोसिएट माइकल कुगेलमैन ने कहा, “भारत को बिडेन की जीत से प्रसन्न होना चाहिए। वह भारत के लंबे समय से दोस्त हैं। जो उसी मोमेंटम पर जारी रहेंगे, जो अमेरिका-भारत संबंध ट्रम्प के वर्षों के दौरान देखा गया। बाइडेन सुरक्षा साझेदारी को मजबूत करेंगे, साथ ही अधिक क्षेत्रों में संबंधों के विस्तार का लक्ष्य रखेंगे।” कुगेलमैन के मुताबिक इसका मतलब यह भी नहीं कि बाइडेन के तहत अमेरिका-भारत संबंधों में सब गुलाबी-गुलाबी ही होगा।
अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के वार्षिक निर्यात के लिए ड्यूटी फ्री एंट्री की इजाजत-
कुगेलमैन ने कहा, “बाइडेन प्रशासन की संभवत: अधिकारों के मुद्दों पर भारत की आलोचना की इच्छा, रूस के मुद्दे पर अधिक कड़ा रुख, चीन के साथ कुछ समय के लिए मामूली सहयोग की संभावना जबकि भारत-चीन तनाव उफान की पिच पर हैं, यह सभी आने वाली चुनौतियों को हाइलाइट करता है।” हालांकि बाइडेन, चीन के मोर्चे पर ट्रम्प की तरह आक्रामक नहीं हो सकते हैं, लेकिन बीजिंग को लेकर रुख पर इतना बड़ा बदलाव हो कि वो पॉलिसी को ही बदल दे। ये शायद ही वॉशिंगटन के पक्ष में होगा। इसलिए चीन पर अमेरिका का सख्त रुख जारी रहेगा। जानकारी के मुताबिक व्यापार सौदों के लिए जो बातचीत चल रही थी, उस पर फिर से काम होगा, ऐसे में यह प्रक्रिया लम्बी खिच सकती हैं। लेकिन, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को रीसेट करने के लिए जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफ्रेंसेस (जीएसपी) की स्थिति को बहाल करना होगा। इसके तहत अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के वार्षिक निर्यात के लिए ड्यूटी फ्री एंट्री की इजाजत है।
विकासशील देशों को लेवल प्लेइंग फील्ड देने के लिए अमेरिका की अहम भूमिका होगी-
ट्रम्प प्रशासन ने पारस्परिक बाजार पहुंच की कमी का हवाला देते हुए जीएसपी को रद्द कर दिया था। जब तक इसे हटाया नहीं गया, भारत में चमड़े, आभूषण और इंजीनियरिंग जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों में 2,167 उत्पादों पर शून्य या कम टैरिफ के जरिए तरजीह वाले बर्ताव का फायदा लिया गया। जब दोनों पक्ष कोरोनो वायरस महामारी के मद्देनजर ‘सप्लाई चेन लचीलेपन’ की जरूरत को मान्यता देंगे तो व्यापक व्यापार समझौते पर भी विचार किया जाएगा। रणनीतिक मोर्चे पर, भारत के लिए कुछ राहत होगी जब बाइडेन प्रशासन 2018 में डोनाल्ड ट्रम्प के छोड़े गए ईरान परमाणु समझौते पर फिर से गौर करेगा। 2015 की संयुक्त व्यापक योजना (जेसीपीओए) में फिर से प्रवेश करना बाइडेन प्रशासन की विदेश नीति की प्राथमिकता में से एक है। इससे पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत को चाबहार परियोजनाओं पर बढ़ने और अफगानिस्तान के लिए रणनीतिक मार्गों को सुरक्षित करने की अनुमति मिलेगी। दुनिया भर के नेता ‘जलवायु न्याय’ की बात कर रहे हैं। पर्यावरण की चुनौतियों के मामले में विकासशील देशों को लेवल प्लेइंग फील्ड देने के लिए अमेरिका की अहम भूमिका होगी। 5 नवंबर को अमेरिका आधिकारिक तौर पर ‘पेरिस समझौते’ से बाहर आ गया। इस संबंध में डोनाल्ड ट्रम्प ने तीन साल पहले एलान किया था। इस पर बाइडेन ने ट्वीट में कहा कि उनका प्रशासन ऑफिस संभालने के बाद 77 दिन में दोबारा इस समझौते से जुड़ जाएगा।