प्रधानमंत्री इन दिनों एससीओ समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन में हैं। समिट से इतर उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से किंगदाओ शहर में मुलाकात की है। दोंनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग तमाम पहलुओं पर बात की। बता दें कि 6 हफ्तों बाद यह दोंनों नेताओं की दूसरी मुलाकात है। बैठक से पहले दोंनों नेताओं ने गर्मजोशी के साथ मुलाकात की। इसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और चीन के मजबूत और स्थिर संबंधों से दुनिया को स्थिरता और शांति की प्रेरणा मिल सकती है। उन्होंने वुहान में शी के साथ अनौपचारिक मुलाकात को भी याद किया।
आपको बता दें कि वुहान में अनौपचारिक समिट के बाद दोनों नेताओं ने संबंधों को एक बार फिर रफ्तार देने पर फोकस किया है। वुहान समिट के करीब 6 हफ्ते बाद ही दोनों एक बार फिर मिले हैं। पिछले साल डोकलाम गतिरोध के बाद सीमा पर बेहतर समन्वय बनाने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उद्देश्य से वुहान में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच अहम मुलाकात हुई थी।
शनिवार को दोनों नेताओं की मौजूदगी में भारत और चीन के बीच समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए हैं। बताया जा रहा है कि दोनों नेता वुहान में पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता में किए गए फैसलों के क्रियान्वयन की प्रगति का जायजा भी ले सकते हैं। यह बैठक यहां होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सलाना सम्मेलन से इतर हुई।
मोदी और शी के द्वारा व्यापार एवं निवेश के क्षेत्रों में संबंध मजबूत करने के रास्ते खोजने तथा द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा करने की उम्मीद है। दोनों नेताओं ने वुहान में अनौपचारिक वार्ता के दौरान एशिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच संबंधों को मजबूत करने पर नजरिया साझा किया था।
इस बार SCO समिट में इन मुद्दों पर प्रमुखता से की जाएगी चर्चा
SCO सम्मेलन में आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ जंग में सहयोग बढ़ाने के ठोस तरीके खोजे जाएंगे तथा वर्तमान वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा।
क्या है SCO?
SCO यानि कि शंघाई सहयोग संगठन(Shanghai Cooperation Organisation) की स्थापना चीन में 2001 में हुई थी। शुरूआत में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान थे। पिछले साल 2017 में ही भारत और पाकिसतान इसके मेंबर में बने हैं, और सदस्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब दोंनों देश SCO समिट में हिस्सा ले रहे हैं। पिछले साल SCO समिट की मेजबानी कजाकिस्तान ने की थी, 2017 में सभी पांच देश कजाकिस्तान के अस्ताना में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
इन कारणों से अहम है?
– इसे NATO को काउंटर करने वाले संगठन के तौर पर देखा जाता है
– सदस्य देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाता है
– आतंकवाद से निपटने खासकर IS आतंकियों से निपटने में मदद करता है
– क्षेत्र में आर्थिक सहयोग बढ़ाना