एजेंसी, नई दिल्ली। देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है और उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम आसमान छू रहा है। पिछले तीन-चार महीने में कच्चे तेल का दाम 53 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ कर 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। 40 फीसदी से ज्यादा इसकी कीमत में इजाफा हुआ है। पर भारत में इसी अवधि में पेट्रोल और डीजल के दाम में औसतन चार से पांच रुपए की बढ़ोतरी हुई है। अगर लोकसभा चुनाव नहीं हो रहे होते तो भारत में पेट्रोल के दाम 80 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा हो गए होते पर इसे देश के अलग अलग महानगरों में 72 से 75 रुपए के बीच रखा गया है।
पर इसका नुकसान यह है कि 23 मई की गिनती के बाद देश में चाहे जिसकी सरकार बने तेल की कीमतों में भारी इजाफा होगा। इसके तीन कारण हैं। पहला कारण तो यह है कि सरकार ने कृत्रिम तरीके से दाम का बढ़ना रोक रखा है। सो, जब सरकार पाबंदी हटाएगी तो तेल कंपनियां अपने नुकसान की भरपाई के लिए दाम बढ़ाएंगी। दूसरा कारण यह है कि अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने पर पाबंदी लगा दी है। दो मई के बाद भारत ईरान से तेल नहीं खरीद पाएगा।
गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते ईरान से समझौता हुआ था, जिसके तहत भारत रुपए में कीमत चुका तक तेल खरीदता था और ईरान भारत को दो महीने की उधारी भी देता था। वह अब बंद हो जाएगा। तीसरा कारण यह है कि ईरान पर पाबंदी के बावजूद सऊदी अरब ने साफ कर दिया है कि वह तेल का उत्पादन फिलहाल नहीं बढ़ाने जा रहा है। इसलिए कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल का मार्क पार करेगी और तब भारत में नई सरकार बनते ही इसके दाम आसमान पर पहुंचेंगे।