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उत्तराखंडः सुदूर क्षेत्रों के लोग देहरादून में मना रहे हैं छठ का महापर्व

देहरादून में छट पर्व पर उत्तराखंडः सुदूर क्षेत्रों के लोग देहरादून में मना रहे हैं छठ का महापर्व

छठ पूजाः छठ पूजा का पर्व चार दिन का होता है।खरना के दिन व्रतधारी दिनभर उपवास करते हैं और शाम में भगवान सूर्य को खीर-पूड़ी, पान-सुपारी और केले का भोग लगाने के बाद खुद खाते हैं। यह व्रत काफी कठिन होता है। इस पूरी प्रक्रिया में नियम का विशेष महत्व होता है।पूरी पूजा के दौरान किसी भी तरह की आवाज नहीं होनी चाहिए। खासकर जब व्रती प्रसाद ग्रहण कर रही होती है और कोई आवाज हो जाती हो तो खाना वहीं छोड़ना पड़ता है और उसके बाद छठ के खत्म होने पर ही वह मुंह में कुछ डाल सकती हैं। इससे पहले एक खर यानी तिनका भी मुंह में नहीं डाल सकतीं। इसलिए इसे खरना कहा जाता है। इस महापर्व को लेकर भारत खबर ने व्रतियों से खास बातचीत की है।

 

देहरादून में छट पर्व पर उत्तराखंडः सुदूर क्षेत्रों के लोग देहरादून में मना रहे हैं छठ का महापर्व
देहरादूनः सुदूर क्षेत्रों के लोग देहरादून में मना रहे हैं छठ का महापर्व

इसे भी पढे़ःछठ पूजाः जानें छठ पूजा में किसकी पूजा होती है,इस पूजा के ये हैं लाभ..

 

देहरादून में बसे सुदूर क्षेत्रों के लोग भी बड़े ही हर्षोल्लास के साथ छठ का पर्व मना रहे हैं। हमारे संवाददाता ने व्रतियों से इसकी पूजा के बारे में जाना। बांस की डलिया में पूजा का सामान रखते हैं जिसमें अपने सामर्थय के अनुसार पकवान व अन्य फल जैस केले अनार आदि का प्रसाद भी लगाते हैं।व्रर्ती महिलाओं ने बताया कि इस पर्व में सूर्य भगवान की पूजा होती है। साथ ही उन्होंने कहा कि छठ पूजा पर्व को लेकर धारणा है कि भागवन सूर्य और छठी माई भाई बहन हैं। कहा जाता है कि कभी भगवान सूर्य ने भी छठमाई की पूजा की थी।

 

छ पूजा सामग्री उत्तराखंडः सुदूर क्षेत्रों के लोग देहरादून में मना रहे हैं छठ का महापर्व
छठ पर्व के व्रत की पूजा सामग्री

 

बता दें कि उत्तराखंड में बिहार और झारखंड जैसे सुदूर इलाकों से आए हुए लोग छठ पूजा का पर्व मना रहे हैं। राजधानी देहरादून में महिलाओं ने मंगलवार के दिन खरना किया।कल अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। हमारे भारत खबर के संवाददाता ने व्रतियों से बात करते हुए छठ पूजा के बारे में जानकारी ली।

व्रती महिलाओं ने छठ पूजा का गीत भी गाया। जो दिवाली के बाद से ही छठ पूजा मनाए जानें वाले क्षेत्रों में गूंजने लगता है। गीत- ”कांचे ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए” कांचे बांस भी गाया। कल अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।आज से 36 घंटे के लिए व्रत व्रत रखेंगी। महिलाएं छठ माी के पर्व पर मैथिली और भोजपुरी के गीत गुनगुनाती हैं।

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