नई दिल्ली। सिख गुरु गोबिन्द सिंह का आज 350वां जन्मदिन है जिसे पंजाब सहित पूरे भारत में प्रकाशोत्सव के नाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए पिछले कई दिनों से पटना सहित पंजाब में तैयारियां चल रही थी जिसके चलते गुरुद्वारों को बड़े ही आकर्षक ढंग से सजाया गया है।
इस मौके पर देश भर के गुरुद्वारों में विशेष इंतजाम भी किया गए है। गुरु गोबिन्द सिंह को सिख समुदाय का 10वां और अंतिम गुरु कहा जाता है जिनका जन्म 22 दिसंबर 1666 ई. में हुआ था। ये एक ऐसे गुरु है जिन्हें संत के साथ-साथ सैनिक कहलाने का भी सौभाग्य प्राप्त था। 1676 ई. को गोबिन्द सिंह सिखों के गुरु बने और 1708 तक इस पद पर कायम रहे।
महान संत के साथ-साथ महान कवि:-
गुर गोबिन्द सिंह सिख समुदाय के गुरु होने के साथ-साथ महान कवि और नेता भी थे। सन 1675 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। वो ही थे जिन्होंने सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया। इसके साथ ही उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था और कई ग्रंथों की रचना भी की। कहा जाता है कि उनके दरबार में 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी इसीलिए उन्हें संत सिपाही भी कहा जाता है। वे न केवल भक्ति बल्कि शक्ति के अद्वितीय संगम थे।
पटना साहिब का खास महत्व:-
पटना साहिब का खास महत्व है। श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया था। गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म नौंवे सिख गुरु तेगबहादुर और माता गुजरी के घर पटना में हुआ था। उनके जन्म के समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश थे। इन्होंने बचपन में फारसी, संस्कृत की शिक्षा ली। सिख गुरु का बचपन का ज्यादातर समय पटना साहिब में ही बीता। पटना हरिमंदिर साहिब में आज भी सिंह की छोटी कपाण रखी है जो वो बचपन में धारण किया करते थे। आज भी श्रद्धालु गुरु गोबिन्द सिंह से जुड़ी लोहे की छोटी चकरी जिसे वो अपने केशो में धारण करते थे और छोटे खंजर को देखना नहीं भूलते।