नई दिल्ली: स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर पीडीपी ने नेशनल कांफ्रेंस की राह पकड़ ली है। सोमवार को पार्टी विधायकों के साथ बैठक के बाद पीडीपी ने भी निकाय और पंचायत चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया है। नेशनल कांफ्रेंस पहले ही इस चुनाव के बहिष्कार का एलान कर चुकी है। नेशनल कांफ्रेंस द्वारा इन चुनाव के बहिस्कार की घोषणा से राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव महसूस किया जा रहा था। विशलेषकों का मानना है कि नेशनल कांफ्रेंस के इस कदम से राज्य के आम आदमी के बीच उसकी पैठ मजबूत हुई थी। भाजपा के साथ पीडीपी के गठबंधन की सरकार गिरने के बाद लोगों के मन में पीडीपी को लेकर थोड़ी झिझक पैदा हो गयी थी।
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नेशनल कांफ्रेंस के बहिष्कार के एलान से उसे राजनीतिक उछाल मिली थी। इसे देखते हुए पीडीपी के लिए यह समय कठिन था। अगर वह इन चुनाव में भाग लेती तो उसे राज्य की जनता का रोष झेलना पड़ता। पीडीपी इन चुनाव को लेकर बुधवार से ही लगातार मंथन कर रही थी। गुरुवार को श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओं और विधायकों के साथ बैठक के बाद महबूबा ने इस मुद्दें पर अपना रुख कड़ा करने का फैसला किया। रविवार को गांदरबल के कंगन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए महबूबा ने कहा था कि फिलहाल राज्य के हालात चुनाव के अनुकूल नहीं हैं। अंततः सोमवार को पार्टी विधायकों की बैठक के बाद महबूबा मुफ्ती ने निकाय और पंचायत चुनाव के बहिष्कार का एलान कर दिया।
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By: Ritu Raj