लखनऊ। राजधानी में कोरोना मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। परिवारीजन ऑक्सीजन प्लांट के बाहर लंबी लाइन लगाकर घंटों इंतजार कर रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें निराशा मिल रही है। समय पर इलाज व ऑक्सीजन न मिलने से मरीजों की जान जोखिम हैं। निजी ही नहीं सरकारी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन को लेकर लोग बेहाल हैं।
मरीजों को नहीं मिल रही पर्याप्त ऑक्सीजन
राजधानी में कोरोना का कहर नहीं थम रहा है। मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन की खपत में भी इजाफा हो रहा है। जबकि मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। तीमारदार ऑक्सीजन की तलाश में एक से दूसरे प्लांट में भटक रहे हैं। वहीं अस्पतालों को भी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। सबसे ज्यादा ऑक्सीजन का संकट प्राइवेट अस्पतालों को झेलनी पड़ रही है। जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन न मिलने से मरीजों को दिक्कतें हो रही है।
खुद ऑक्सीजन का जुगाड़ कर रहे तीमारदार
अपनों की जान बचाने के लिए तीमारदार ऑक्सीजन का इंतजार कर रहे हैं। अस्पतालों को भरे सिलेंडर दे रहे हैं। ताकि अस्पताल में मरीज की देखभाल हो सके। डॉक्टरों का कहना है कि सामान्य बेड पर भर्ती एक कोरोना मरीज को 24 घंटे में तीन बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत पड़ती है। वहीं आईसीयू या वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज के इलाज में पांच से सात सिलेंडर खर्च हो रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में सिलेंडर जुटा पाना तीमारदारों के लिए संभव नहीं हो पा रहा है। वहीं अस्पतालों को मांग के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। इससे मरीजों पर आफत है।