जब निशा के दामन को चीरती सूर्य की किरण धरती पर पड़ी तो देहरादून में स्थित भारतीय सैन्य अकादमी ने अपने इतिहास में एक नया अध्याय दर्ज करना शुरू कर दिया।ऐतिहासिक शेत्बुड भवन के सामने बने ड्रिल स्वाकयर एकाएक बैंड की धुनों पर एक साथ हवा में उठते हाथों पर एक साथ उठते कदम ने बैठे लोगों के दिलों की धड़कने बढ़ा दी।
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सीने में जोश आवाज में बुलंदी आखों में चमक मानों ऐसा लग रहा था कि सिंह के शावकों का कोई दल चला आ रहा है। मौका था भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आऊट परेड का इस बार की परेड में भारतीय सेना को 347 जांबाज अफसर मिले हैं। इसके साथ ही भारतीय सैन्य अकादमी के इतिहास के पन्नों में ये महान पल दर्ज हो गया। जब चैटवुड भवन में भीरत प्रवेश कर इन कैडेटस ने अपना अकादमी में अन्तिम पग भरा।
इस बार की पासिंग आउट परेड में आध्र प्रदेश से 4,अरूणांचल से 1, असम से 5, बिहार से 36, चंडीगढ़ से 4,छत्तीसगढ़ से 2,दिल्ली से 25,गुजरात से 4,हरियाणा से 51,हिमाचल से 15, जम्मू कश्मीर से 12,झारखंड से 6,कर्णाटक से 8, केरला से 8, नेपाल से 1,मध्य प्रदेश से 10,महाराष्ट्र से 20,मणीपुर से 3,मिजोरम से 1,ओड़िसा से 5, पंजाब से 14,पांडुचेरी से 1,राजस्थान से 12, तमिलनाडु से 5, त्रिपुरा से 2, उत्तर प्रदेश से 53, उत्तराखंड से 26, और पश्चिम बंगाल से 8 जैन्टिल मैन कैडेट भारतीय सेना में कमीशन अफसर बने हैं।
भारतीय सैन्य अकादमी के गौरवशाली इतिहास और परम्परा के वाहक ये जैन्टिलमैन कैडेटस अब भारतीय सेना में कमीशन अफसर के तौर पर अपने जीवन के दूसरे अध्याय की शुरूआत करें है। सूर्यदेव की प्रथम किरण ने इनके जीवन में एक सुनहला प्रकाशपुंज बिखेरा है।