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कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए यात्रियों ने राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सरोकार का दिया संदेश

kailash mansarovar कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए यात्रियों ने राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सरोकार का दिया संदेश

देहरादून। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए यात्रियों ने शिवभक्ति के साथ ही राष्ट्रभक्ति और सामाजिक सरोकार का संदेश भी दिया। यात्रियों ने चीन की धरती पर राष्ट्रगान गाया। यही नहीं यात्रियों ने पांच सितंबर को मानसरोवर झील में गिरे करीब 100 किलो कूड़े के ढेर को भी निस्तारित कर स्वच्छता का संदेश दिया। उन्होंने 100 फीट की दूरी पर गड्ढा खोदा और कूड़े का निस्तारण किया। बुधवार सुबह करीब 10:30 बजे यात्रा पूरी कर काठगोदाम लौटे यात्रियों ने अपने अनुभव साझा किए। 

बता दें कि यात्री दल में शामिल आईटीबीपी के डीआईजी और हापुड़ निवासी आनंद पाल सिंह निम्बाडिया ने बताया कि 18 वें दल की विदाई के दौरान यात्रियों ने राष्ट्रगान भी गाया। यात्रियों ने बताया कि कैलाश मानसरोवर की स्वच्छता के प्रति चीन प्रशासन सतर्क है। झील में उतरकर नहाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। स्थानीय लोग भी बाल्टी में मानसरोवर का पानी लेकर दूर जाकर स्नान करते हैं। 

यात्रियों ने बताया कि चीन सीमा में प्रवेश करते ही जगह-जगह लोग स्थानीय उत्पादों को बेचते नजर आए। केएमवीएन को स्थानीय रोजगार और उत्पादों की बिक्री को बढ़ाने के लिए यह व्यवस्था धारचूला से आगे के पड़ावों पर भी करनी चाहिए। मोबाइल कनेक्टिविटी, मेडिकल सपोर्ट, बिजली सुविधा में काम करने की जरूरत है। वाया नेपाल यात्रा कराने वाले प्राइवेट ऑपरेटर्स को केएमवीएन के संसाधनों और यात्रा मार्ग से जोड़ा जाए, इससे बॉर्डर पर पलायन, रोजगार के साथ ही केएमवीएन की आजीविका भी बढ़ेगी। 

कैलाश मानसरोवर की यात्रा पूरी कर आखिरी 18वां दल बुधवार सुबह करीब 10:30 बजे काठगोदाम पर्यटक आवास गृह पहुंचा। टीआरसी प्रबंधक रमेश चंद्र पांडे, बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर दीपक पांडे, सतेंद्र जुयाल, शेरी राम, अनीस आदि ने उनका स्वागत किया। प्रबंधक रमेश चंद्र पांडे ने बताया कि इस बार 23 राज्यों के 923 यात्रियों ने यात्रा की। इनमें गुजरात से 137, यूपी से 128 और दिल्ली से 127 यात्रियों ने प्रतिभाग किया।

पहली बार यात्रा पर गई राजेश्वरी मोहन कोसे (53, मुंबई), ख्याति (37, गुजरात), शुचि (35, हिमाचल प्रदेश), जितेंद्र शर्मा (50, छत्तीसगढ़) ने बताया कि यात्रा कठिन है लेकिन ऐसा महसूस नहीं हुआ। कण-कण ने ईश्वरीय शक्ति का आभास कराया। तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित रुद्रपुर निवासी डॉ. रजनीश बत्रा (54) ने बताया कि 10 वीं बार कैलाश की यात्रा पर जाने का सौभाग्य मिला। यात्रा के दौरान ऐसा लगा मानो भगवान शिव अपनी तरफ खींच रहे हों।

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