आमतौर पर काफी कम लोग जानते हैं कि अक्षय तृतीया के शुभअवसर वाले दिन ही भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है। या फिर आप ये भी कह सकते हैं कि,अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती एक ही दिन होते हैं। इस दिन को परशुराम जयंती के तौर पर भी मनाया जाता है। आपको बता दें भगवान विष्णु के छठे अवतार एवं ब्राह्म्ण जाति के कुल गुरु परशुराम,जिनकी जयंती वैशाख शुक्ल अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है।
परशुराम त्रेता युग में एक ब्राह्मण ऋषी के यहा जन्में थे। पौरोणिक कथाओं के अनुसार उनका जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान से हुआ था।
मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन जो कुछ भी दान किया जाता है वह अक्षय रहता है यानि इस दिन किए गए दान का कभी भी क्षय नहीं होता है। सतयुग का प्रारंभ अक्षय तृतीया से ही माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के परम भक्त परशुराम न्याय के देवता माने जाते हैं।
भगवान परशुराम को लेकर कई सारी कहानियां भी प्रचलित हैं कहा जाता है कि इन्होंने 21बार पृथ्वी से क्षत्रियों को खत्म किया था 22 वीं बार जब ये भगवान राम के स्वंवर पर धनूष टूटने के बाद उनसे मिले थे तो क्षत्रियों के प्रति इनकी भावना बदल गई। कहा जाता है कि भगवान राम और परशुराम भगवान विष्णु के अवतार हैं। इतना ही नहीं परशुराम को लेकर ये भी कहा जाता है कि इन्होंने पिता के कहने पर अपनी माता की गर्दन काट दी थी।
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कहा जाता है कि, अक्षय तृतीया पर जीवन रक्षक मंत्र महामृत्युंजय मंत्र का सामूहिक पाठ करने से किसी भी तरह की बीमारी को पछाड़ कर निरोगी बना जा सकता है। हालांकि इस बार पाठ करने के लिए एक जगह इकट्ठा तो नहीं हुआ जा सकता, मगर घर पर ही इस मंत्र के जप की माला करने से लाभ मिलता है।
अगर आप भी परशुराम जयंकी पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हैं तो कोरोना जैसी महामारी इस कुछ असर जरूर हो सकता है।