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संसद हमलाः जानें किस तरह जवानों ने आतंकवादियों के मंसूबों पर फेरा था पानी

संसद हमलाः जानें किस तरह जवानों ने आतंकवादियों के मंसूबों पर फेरा था पानी

संसद हमलाः ठीक 17 साल पहले लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद भवन ने आतंकी हमले का वह भयावह दृश्य देखा था जिसे आज भी याद करने से हर हिंदुस्तानी की रुह कांप जाती है। गौरतलब है कि 13 दिसंबर 2001 को सफेद एंबेसडर कार से आये पांच आतंकियों ने पूरे संसद भवन को बम से उड़ाने की नापाक मंशा को अंजाम दिया।हालांकि उनकी इस नापाक मंशा को हमारे जवानों असफल कर दिया।

 

संसद हमलाः जानें किस तरह जवानों ने आतंकवादियों के मंसूबों पर फेरा था पानी
संसद हमलाः जानें किस तरह जवानों ने आतंकवादियों के मंसूबों पर फेरा था पानी

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जाबाजों ने आतंकियों के मंसूबे पर पानी फेर दिया।जवानों ने करीब एक घंटे तक चली गोलीबारी में आतंकियों को मार गिराया। इस आतंकी हमले में दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहिद हो गये थे। 13 दिसंबर 2001 की दोपहर को विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी थी। सदन की कार्यवाही समाप्त हो जाने के बाद तात्कांलीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की नेता सोनिया गांधी अपनी-अपनी गाड़ी से अपने आवास के लिए निकल गये थे। लेकिन तात्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण् आडवाणी समेत लगभग 200 सांसद अब भी लोकसभा के अंदर ही थे।

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संसद भवन में हमेशा की तरह मीडिया का पूरा जमावडा़ था। कई सांसद ठंड में धूप का मजा लेने के लिए संसद भवन के बाहर खड़े थे। उपराष्ट्रजपति कृष्णकांत की सुरक्षा में तैनात जवान संसद भवन से उनके निकलने की प्रतिक्षा में थे, तभी एक सफेद एंबेसडर कार तेजी के साथ सुरक्षा‍कर्मियों की ओर आगे बढ़ती है।संसद में प्रवेश करने वाली गाडियों की रफ्तार जितनी होनी चाहिए एंबेसडर कार की रफ्तार कहीं ज्या‍दा थी।कोई कुछ समझ पाता तब तक लोकसभा की सुरक्षा में तैनात जगदीश यादव भागते-भागते आते हैं। कार को रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन कार रुकती नहीं है, बल्कि वो लगातार उपराष्ट्ररपति के काफिले की ओर बढ़ती जा रही थी।

जगदीश यादव को भागते देख सुरक्षाकर्मी भी कार को रोकने की कोशिश करते हैं, लेकिन कार नहीं रुकती है। सुरक्षाकर्मियों को अपनी ओर आते देख एंबेसडर का ड्राइवर गाड़ी को संसद के गेटनंबर 1 की ओर मोड़ देता है। गेट नंबर एक में ही उपराष्ट्र पति की गाड़ी खड़ी थी। तेज गति के कारण एंबेसडर के ड्राइवर ने अपना नियंत्रण खो देता है और सीधे उसकी गाड़ी उपराष्ट्रपपति की गाड़ी से जा टकराती है।

गाड़ी जैसे से रुकती है उसके चारों गेट एक साथ खुलते हैं और उसके अंदर बैठे हथियार से लैश पांच आतंकवादियों ने सुरक्षा‍कर्मियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर देते हैं। तब तक सुरक्षा में तैनात जवान भी अपनी पोजिशन ले लेते हैं और दोनों ओर से गोलीबारी शुरू हो जाती है।आतंकवादियों के पास एके 47 थे और उनके पीठ पर गोलों से भरा बैग था। आतंकवादियों ने गेट नंबर 11 से हमला करना शुरू किया।

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इधर गोलियों की आवाज सुन कर संसद भवन में अफरा-तफरी मच गयी। लोग इधर-उधर भागने लगे। इस बीच जहां आतंकियों के साथ गोलीबारी हो रही थी उससे महज 100 मीटर की दूरी पर ही आडवाणी और जॉर्ज फर्णांडीस मौजूद थे।दोनों को सुरक्षाकर्मियों ने जैसे-तैसे संसद भवन के अंदर पहुंचाया और संसद में प्रवेश के सारे दरवाजे को बंद कर दिया गया और सुरक्षाकर्मियों ने दरवाजों पर पोजिशन ले लिया।

आतंकी उस समय तक गेट नंबर 11 से ही गोलीबारी कर रहे थे। अब सुरक्षा में तैनात जवान भी गोलीबारी करते हुए गेट नंबर 11 की ओर बढ़ते हैं। जवानों को अपनी ओर आते देख आतंकी भी अपना पोजिशन बदलने लगे और एक आतंकी गोली चलाते हुए गेट नंबर एक की ओर बढ़ने लगता है और बाकी चार आतंकी गेट नंबर 12 की ओर भागते हैं. आतंकियों का एक ही लक्ष्य था, किसी तरह वो संसद भवन के अंदर प्रवेश कर जाएं और वहां मौजूद सांसदों को अपने कब्जे में ले लें।

इसी दौरान गेट नंबर एक की ओर भाग रहे आतंकी को सुरक्षाकर्मियों ने निशाना बनाया और उसे ढेर कर दिया, लेकिन आतंकी अब भी जिंदा था, लेकिन मरने से पहले ही उसने अपने बैग में मौजूद बम से अपने को उड़ा लिया।इस बीच मीडिया में हमले की लाइव कवरेज जारी थी। लेकिन सुरक्षा को देखते हुए फौरन मीडिया को लाइव कवरेज बंद करने का आदेश दिया गया। एक आतंकी के ढ़ेर होने के बाद बाकी बचे चार आतंकी अब भी सुरक्षाकर्मियों पर गोली बरसा रहे थे। इस बीच एनएसजी के कमांडो और सेना के जवान और दिल्लीं पुलिस की स्पेशल सेल भी संसद भवन के लिए कूच कर जाते हैं। धीरे-धीरे आतंकियों को सुरक्षा‍कर्मी चारों तरफ से घेर लेते हैं। इस बीच गेट नंबर पांच के पास एक और आतंकी को मार गिराया जाता है।

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बाकी बचे तीन आतंकी अब संसद भवन में घुसने की आखिरी कोशिश करते हैं और गेट नंबर 12 की ओर भागते हैं, लेकिन सुरक्षा में तैनात जवानों ने उन्हें घेर लिया और सभी को वहीं ढेर कर दिया। लगभग 1 घंटे चले इस ऑपरेशन में पांचों आतंकियों को भारतीय जवानों ने मार गिराया और संसद भवन को बचा लिया। इस कार्रवाई में दिल्ली पुलिस के जवान समेत 9 लोग शहिद को गये थे।

महेश कुमार यादव

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