देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन मंत्रालय ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पं दीनदयाल मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत राज्य के तीर्थस्थलों तक वृद्ध जनों को पर्यटक के रूप में उत्तराखंड में लाना है। इस योजना के अंतर्गत साल 2017 में 60 साल से ज्यादा के ऐसे वरिष्ठ नागरिक जोकि आयकर के कर दाता नहीं है और उनके पास परिवार से जुड़ा कोई साधन भी नहीं है को इस योजना से जोड़ना है। इसमे सभी धर्मों के वृद्ध नागरिकों को शामिल किया गया है।
इसके तहत हिंदू धर्म के वरिष्ठ नागरिकों के लिए बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री धाम, ताड़केश्वर, कालीमठ, जागेश्वर, गैराड़ गोलू, बैजनाथ और गंगोलीहाट जैसे तीर्थस्थलों के दर्शन कराने के लिए सरकार कृतसंकल्प है। इसके अलावा सिख धर्म के लिए विभाग ने नानक मत्ता और रीठा-मीठा सहीब व मुस्लिमों के लिए हरिद्वार का कलियर शरीफ को अपनी योजना में शामिल किया है। आपको बता दें कि सरकार इस योजना के तहत अबतक 404 बुजुर्गों को नि:शुल्क यात्रा करवा चुकी है।
इसके अलावा विभाग पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड की चार धाम यात्रा के दौरान पड़ने वाले अगल-अलग पड़ावों, चौट्टियों, भव्य स्थलों के महत्व और इनके पौराणिक इतिहास को उजागर करने के लिए एक चार धाम पदयात्रा प्रतियोगिता का आयोजन करेगी, जिसमें प्रतिभागी दल चार धाम की यात्रा पूरा करने के बाद उसके पड़ावों में पड़े प्राचीन इतिहास की रूपरेखा को प्रस्तूत करेंगे। इस प्रतियोगिता के तहत विभाग द्वारा इतिहास सही से वृत्तांत करने वाले प्रतिभागी को पांच तरह के क्रम में ईनाम भी दिया जाएगा।
ये मिलेगा ईनाम
प्रथम पुरस्कार- एक लाख एक हजार रुपये
द्वितीय पुरस्कार- 51000 रुपये
तृतीय पुरस्कार-21000 रुपये
चतुर्थ पुरस्कार-10,000 रुपये
वहीं दिव्यांगों के लिए अलग से 10 हजार रुपये का पुरस्कार रखा गया है।